यह शगुन साध का धागा
किसी पर थोपा नहीं गया
केवल प्यार का बंधन है
यूं ही बांधा नहीं गया |
(२)
रिश्ता तो रिश्ता है
हो चाहे बंद लिफाफे में
या राखी भाई की कलाई में
पर रहे सदा ही वरदहस्त
बहना के सर पर |
(३)
समय के साथ
सब बदल गया
पहले सा उत्साह
भी है अब कहाँ
है अब तो रस्म अदाई
मंहगाई की मार से
गहन उदासी छाई |
आशा
रिश्ता तो रिश्ता है
हो चाहे बंद लिफाफे में
या राखी भाई की कलाई में
पर रहे सदा ही वरदहस्त
बहना के सर पर |
(३)
समय के साथ
सब बदल गया
पहले सा उत्साह
भी है अब कहाँ
है अब तो रस्म अदाई
मंहगाई की मार से
गहन उदासी छाई |
आशा