11 नवंबर, 2014
09 नवंबर, 2014
अकर्मण्य
पर साहस की कमी
अवसर निकले हाथों से
भुना न पाई आज तक
मन में मलाल आया
आलम उदासी का छाया
रात रात भर जागती
खांसती कराहती
पलायन का ख्याल आता
बारम्बार झझकोरता
पर इतनी कायर भी नहीं
निष्क्रीय निढाल
निष्क्रीय निढाल
तर्क कुतर्क में उलझी
खुद ही में सिमटती गई
निंद्रा से कोसों दूर हुई
जाने कब सुबह हुई
भोर से नजरें चुराती
अक्षमता का बोध लिए
ओढ़ रजाई सो गई
दिवास्वप्न में खो गई |
आशा
आशा
07 नवंबर, 2014
आग़ाज मौसम का
शबनम में
भीगा गुलाब
मौसम का हाल बताता
पत्तों पर ओस नाचती
उसका एहसास कराती
फूल खिले बगिया बगिया
स्वागत करते मौसम का
शबनमी पुष्प मुस्कुराते
इसे करें न नजर अंदाज
मौसम का हाल बताता
पत्तों पर ओस नाचती
उसका एहसास कराती
फूल खिले बगिया बगिया
स्वागत करते मौसम का
शबनमी पुष्प मुस्कुराते
इसे करें न नजर अंदाज
दस्तक
खुशनुमा पवन की
आहट ठन्डे मौसम की
सुखद गुनगुनी धूप की
सैर प्रातः दूर की
मन में उत्साह भरे
हरी भरी बगिया महके
मन मयूर नर्तन करे
रंग बिरंगे पुष्पों से
नव ऋतु का स्वागत करे |
आशा
आहट ठन्डे मौसम की
सुखद गुनगुनी धूप की
सैर प्रातः दूर की
मन में उत्साह भरे
हरी भरी बगिया महके
मन मयूर नर्तन करे
रंग बिरंगे पुष्पों से
नव ऋतु का स्वागत करे |
आशा
06 नवंबर, 2014
04 नवंबर, 2014
रिश्ता
है मन विगलित
नयन द्रवित
बाध्य सोचने को
बनते बिगड़ते रिश्तों का
कोई नाम तो हो
रिश्ता है कोरे दीपक सा
बिना स्नेह ना टिक पाता
स्नेह वर्तिका संयोग होता
तभी तो स्थाईत्व आता
दीपक सा उजास फैलाता
आते जाते झोंकों से जूझता
आते जाते झोंकों से जूझता
यदि कहीं कमीं रह जाती
टूट जाता छूट जाता
दिए सा बुझ जाता
दिए सा बुझ जाता
आधा अधूरा रह जाता
काली लकीर रह जाती
जीवन भर याद दिलाती
कभी लगता कच्चे दीपक सा
स्नेह पा कर टूट जाता
अपने में ही सिमट जाता |
आशा
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