कभी शिकवा न किया
किसी से शिकायत नहीं की
फिर भी सभी ने दोष दिया
जरूर कुछ तो किया होगा |
जब अपनी बात कहना चाही
जितनी भी कोशिश की
किसी ने न मानी
सभी यत्न व्यर्थ हुए |
कहने को तो यही रहा
जो किया ठीक न किया
सच यही है किसी ने
सही गलत का भेद बताया नहीं |
अनजाने में की गलतियां भूल नहीं होतीं
सुधारी जा सकती हैं हालात से समझोता होता है
वह एक सीमा तक तो है संभव
पर असम्भव नहीं |
आशा