12 जनवरी, 2021

पुस्तक

 


 

 आशा कैसी किस से करूं

 कोई तो अपना हो

कब तक आश्रित रहूंगी

 यह तक मालूम नहीं |

किताब भी मौन है

कुछ बोलती नहीं

न जाने कैसे नाराज हुई

यह भी मालूम नहीं |

यह कैसा अन्याय है

मेरे साथ ही ऐसा क्यूँ

अब तक समझ न पाई

पुस्तक से दूरी किस लिए |

आशा 
 


                  

11 जनवरी, 2021

कितना सताया है मुझे

 

 

 

 

 

 

 




 

 

 

 

 

 

 



 कितना सताया है  मुझे

इंतज़ार करके हारी

मेरी परीक्षा कब तक लोगे

मेरे श्याम बिहारी  |

घंटों   बैठी  बाट निहारती

तुम न आए गिरधारी

मैं सारे जग से ठगी गई

यह हुआ कैसे मैं जान न पाई |

अब जा कर सतर्क हुई हूँ

 जब से ठोकर खाई  है

दुनिया की रीत निराली है |

यहाँ स्थान रिक्त नहीं है

मुझ जैसे लोगों के लिए

 ना तो चालबाजी आई

ना ही लोका चार यहाँ का |

 मैंने किनारा कर लिया है

इस अजूबी दुनिया से

अब आपकी शरण में आई हूँ

अब तो  अपनालो मुझे |

आशा




09 जनवरी, 2021

आज मुझे यह कहने दो

 


आज मुझे यह कहने दो

कि मेरा सोच गलत नहीं था

नया परिवेश नया मकान

निभाना इतना सहज नहीं था 

फिर भी मैंने तालमेल  किया है

अब कोई समस्या  नहीं है ।

खाली घर और हम अकेले

करते तो  क्या करते

आने को हुए बाध्य

कैसे अकेले रह पाते वहाँ ।

 स्वास्थय ने भी किनारा किया

वह भी साथ न दे पाया

आखिर वक्त से सम्झौता किया

यहाँ आने का मन बनाया |

आशा

08 जनवरी, 2021

अनसुलझे प्रश्न

 कितने अनसुलझे प्रश्नों ने घर 

बना लिया है ह्रदय में 

अब तो स्थान ही नहीं बचा है 

अन्य प्रश्नों के लिए |

जब भी उत्तर खोजना चाहती हूँ 

खोजे नहीं मिलते 

बहुत बेचैनी होती है 

असफलता जब हाथ आती है |

पर फिर भी जुझारू रहती हूँ 

साहस से  दूर भागती नहीं 

कुछ तो सफलता मिल ही जाती है

आत्म शान्ति मिल जाती है || 

मन को सुख मिल जाता है 

फिर दो



                                                                दो गुने जोश से जुट जाती हूँ 

और प्रश्न हल करने में

सफलता का नशा

 मस्तिष्क पर छा जाता है  |

आशा 






02 जनवरी, 2021


     मुझे बहुत प्रसन्नता होरही है अपने  (बारहवा काव्य संकलन ) अपराजिता का कवर पेज आपसे सांझा कर के |


31 दिसंबर, 2020

सोचो क्या करना है ?

 


                                                             मन मेरे सोचो क्या करना है ?

आने वाले कल के लिए

कोई उत्साह नहीं है अब  

जीवन की शाम का

इंतज़ार कर रहे हैं |

हर लम्हा पुकार  रहा है

प्रभु का भजन करो

उसके सानिध्य में जाओ

उसका गुणगान करो |

समय व्यर्थ न गवाओ

भर पूर जिन्दगी जी ली  है

अब और की लालसा न रखो

यह न सोचो आगे क्या होगा |

हर वर्ष की तरह यह वर्ष भी

आया है बीत ही जाएगा

माया मोह से बचो

कुछ नेकी के काम करो |

आशा

 

29 दिसंबर, 2020

सर्दी (हाईकू )




१- सर्द हवाएं
चैन न लेने देतीं
बेचैनी होती
२-यही मिजाज
मौसम का आलम
सहा न जाए
३-अती ना भली
सर्दी हो या गर्मीं हो
कभी न फली
४-यह गरीबी
वस्त्र न तन ढकें
सर्दी के मारे
५-बर्फ ही बर्फ
चारो ओर बिखरी
सही न जाए 
६-सर्दी की मौज 
ठन्डे स्थानों  में मिले 
जा कर देखें

आशा



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