21 जनवरी, 2021
17 जनवरी, 2021
यात्रा विवरण (काश्मीर )
अचानक दृष्टि उस पोटली बाले पर जा
कर टिक गई |यह वही पोटली वाला था |जिससे मैंने सुबह बात की थी |वह इतना व्यस्त था
अपनी पोटली सम्हालने में कि मुझे ताज्जुब हुआ |इतनी बड़ी पोटली कैसे उसने विमान के
अन्दर बैठने के स्थान पर रख ली थी | उसने बताया था कि वह अपना सामन विमान से ही ले
जाता आता है |
बहुत जल्दी ही हम श्री नगर विमान ताल पर पहुँच गए |अपना सामान लिया और बाहर
टेक्सी का इन्तजार कर रहे थे कि एक सज्जन ने आकर पूंछा क्या आप उज्जैन से आए हैं
?बड़ा आश्चर्य हुआ कि यहाँ हमारी जानकारी लने
वाला कौन है |गुड्डी के फेसबुक में
मित्र ने अपने एक मातहत को भेजा था हमें रिसीव करने |उसने डल झील
के सामने होटल में रूम बुक करवा लिया |खिड़की से झील का नजारा
बहुत सुन्दर दीखता था |झील में तैर रहीं मोटर बोट बहुत आकर्षित कर रहीं थीं
|शाम को घूमने का प्लान बनाया पहले दिन होटल से बाहर निकले और पैदल चल दिए झील के
किनारे किनारे |फिर लौट आए
रात्रि का भोजन होटल में ही किया |दूसरे दिन बाहर जाने का मन था |टेक्सी के
आते ही पहल गाँव की ओर जा रहे थे |जितना सुन्दर श्री नगर है वहां के गाँव बहुत ही
गंदे लगे |लोग भी मैले कुचेले कपडे पहने
अपने अपने कामों में व्यस्त थे |दोपहर में पहल गाँव में भोजन किया और घूमा |
यात्रा विवरण -१(वैष्णो देवी )
साथ में बड़ी बेटी और बच्चे थे इस कारण जाने में बहुत सुविधा रही
पर कटरा पहुँचते शाम हो गई थी |थकान बहुत हो गई थी इसलिए रात में होटल में
रुके |दूसरे दिन सुबह पांच बजे देवी दर्शन को जाना था | सुबह की बस पकड़ी और लगभग
दो घंटे बाद हम अपने गंतव्य स्थल पर पहुँच गए |पर बेटी के बड़े बेटे को बुखार आ गया |इसकारण उन लोगों ने
दर्शन का इरादा टाल दिया |वैसे भी वे लोग पहले जा चुके थे |दूसरे दिन प्रातः हम
लोग दर्शन को निकले |पहले सोच रहे थे कि पैदल ही जाएंगे पर थोड़ी दूर चल कर ही थकान
होने लगी |हमने घोड़े पर जाने का मन बनाया |और घुड़सवारी का आनंद लिया भरपूर |लगभग दो घंटे बाद एक
प्रांगण में जा पहुंचे |देखा बहुत लम्बी कतार लगी थी दर्शनार्थियों की |हम भी कतार
में शामिल हो गए |धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे |करीब एक घंटा लगा देवी के दर्शन में |पर
जब वहां पहुंचे आधे मिनिट भी रुकने न दिया जिससे दर्शन ठीक से कर पाते |आगे बढ़ो
आगे बढ़ो कहते स्वयंसेवकों ने तो ध्यान से दर्शन
ही नहीं करने दिए |बड़े बेमन से आगे बढे | बहुत जल्दी ही हम फिर से उसी
आँगन में खड़े थे |वहां की खिड़की से प्रसाद लिया और लौट चले |
भैरो मंदिर बहुत ऊंचाई पर था |वहां जाने का इरादा कैंसिल कर दिया |फिर से
घोड़ों पर हुए सवार और नीचे उतर आए |नीचे गुलशन कुमार का स्टाल था उससे कुछ कसेट
खरीदे |लौटते समय बाजार से छिले अखरोट खरीदे | और बापिस होटल में आगये |
आशा
16 जनवरी, 2021
नन्हीं परी
हुस्न तेरा क्या कहियेकिसी हूर से कम नहीं तू
या है एक नन्हीं परी
श्वेत वस्त्रों से सजी है |
पंख भी हैं धवल तेरे
प्यार से जब भी देखती
सारी कायनात रौशन होती
जन्नत नजर आने लगती |
जब रौद्र रूप धारण करती
सांस हलक में अटक जाती
दृष्टि देख सहम जाती
मेरी जान निकल जाती |
|आशा
14 जनवरी, 2021
=बालिका से बनी गृहणी
बनती सवरती बिंदास रहती
गृह कार्य में रूचि न रखती
जब छूटा बाबुल का अंगना
तब मुंह बाए खड़ी थीं समस्याएँ अनेक |
जिधर देखो यही कहा जाता
कुछ भी तो आता नहीं
कैसे घर चला पाएगी
किस किसके मुंह पर ताला लगाती |
पर वह हारी नहीं
धीरे से कब कुशल गृहणी में बदली
जान नहीं पाई |
जानना चाहते हो कैसे ?
यह था लगन का चमत्कार
जिस कार्य को करने को सोचा
जी जान लगा दी उसने
कभी सफल् हुई कभी हारी
\पर हिम्मत नहीं हारती |
यही एक गुण था उसमें ऐसा
जहां जाती सफलता उसके कदम चूमती
जिससे सभी क्षेत्रों में हुई सफल
कुशल गृहणी कहलाई |
आशा
13 जनवरी, 2021
लोहड़ी पर्व के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं
हर वर्ष मनाते हैं लोहड़ी का त्यौहार
तिल गुड़ के मिष्ठान बना करते है आवाहन |
आज रात्रिमें अलाव जलाते
नवल धान का भोग लगाते
एकत्र हो दे कर परिक्रमा करते है सम्मान |
आशा
|
12 जनवरी, 2021
गोद माँ की
माँ के आँचल की छाँव तले
ममता भरी गोद में
जब पनाह मिलती है
बड़ा सुकून मिलता है |
धीरे धीरे जब सर सहलाती है
एक अनोखी ऊर्जा का संचार होता है
यही ऊर्जा जीने की ललक
जगाती है
क्षण भर में ही सारी थकान
दूर हो जाती है |
अद्भुद स्नेह से हो तृप्त
जब गोदी से सर हटाता हूँ
बड़ा सुकून मिलता है मुझे
मन में होता स्नेह का संचार सुखद |
काश स्नेह मई माँ का प्यार ऐसा
सब के नसीब में होता
माँ की गोद की उष्मा
बड़े भाग्य से मिलती |
जो सुरक्षा वहां मिलती
उसकी कल्पना बड़ी सुखदाई
होती
माँ की कभी कमी सदा खलती
होती अनमोल माँ की गोद
उसकी कोई सानी नहीं होती|
आशा