05 मार्च, 2022

आँखों से पर्दा हटा है





                            प्यार क्या है दुलार किस लिए 

यह दिखावा किस लिए किसके लिए 

मन से तो ये भाव उपजते नहीं 

क्या हो गया उसे |

 वह उलझी रहती दिखावे में 

वह  है कितनी अलग सबसे 

अपने इस सतही  व्यवहार में 

 प्रयत्न अथाह  किये उसने |

असफलता ही हाथ लगी 

मन के भाव छिपाने में 

यह भी स्पष्ट नहीं मन में

 अब वह क्या करे |

किससे  सहायता मांगे 

मन की गुत्थी सुलझाने में 

न जाने क्यों भय बना रहता है 

कोई उससे दगा तो नहीं करेगा  |

यह संशय पनपा कैसे 

एक बार धोखा खाया है  उसने 

अब तो नजदीक जाने से भी 

भय  लगता है उसके |

कभी सोचती है मन के बारे में 

वह  इतनी कमजोर तो कभी न थी

भय ने अपना राज्य जमाया कैसे 

उसका अस्तित्व ही हिला कर रख दिया |

आत्म विश्वास डगमगाया है 

 इसी  कमजोरी ने पचास साल पीछे किया है 

वह उंगली पकड़ कर चलने में 

खुद को महफूज समझती है  |

प्यार से  दुलार से आँखों का पर्दा हटा है 

मन का विश्वास  जाने कब लौटेगा 

उसी पर सोचने की नीव टिकी है 

जीवन की सच्चाई यही है |

आशा 





01 मार्च, 2022

कैसे सोचा


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नेत्र खोल कर न देखा
जो भी देखा सतही देखा
उस को देख अन्देखा किया
यही हाल मन का भी है
खोए रहे स्वप्नों में
कभी छोटी सी बात भी छेनी सी चुभती
बड़ी बात सर पर से गुज़री |
किसी की बात मन को न चुभी
कोई गहरा घाव कर गई
मुझसे अपेक्षा तो सब रखते हैं
पर कोई जानना नहीं चाहता |
कभी किसी बात को गंभीर होकर न लिया
मेरी अपेक्षा है क्या किसी को न जानने दिया
यही विशेषता का आकलन किया
अपने को कैसे समझाया अब तक न सोचा |
शायद यही जीवाब जीने का अंदाज नया |
आशा
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नेत्र खोल कर न देखा

जो भी देखा सतही देखा

उस को देख अन्देखा किया

यही हाल मन का भी है

खोए रहे स्वप्नों में

कभी छोटी सी बात भी छेनी सी चुभती

बड़ी बात सर पर से गुज़री |

किसी की बात मन को न चुभी

कोई गहरा घाव कर गई

मुझसे अपेक्षा तो सब रखते हैं

पर कोई जानना नहीं चाहता |

पेक्षा है क्या किसी को न जानने दिया

यही विशेषता का आकलन किया

अपने को कैसे समझाया अब तक न सोचा |

शायद यही जीवाब जीने का अंदाज नया |

आशा



26 फ़रवरी, 2022

कैसे उसे समझाऊँ

 


मैं कैसे कोई बात करूं

अपने मन की आगाज सुनूँ या 

किसी के मन की बात पर

 ठहाका लगाऊँ मुस्कराऊँ |

उलझन में फंसी हूँ

मेरा मन क्या सोचता  

सोच किस ओर जाता

अभी तक स्पष्ट नहीं है |

यही डावाडोल होते विचार

मन बहका सा है

 कहा नहीं मानता

कैसे उसे समझाऊँ |

सही राह दिखाने के लिए

कुछ तो दृष्टांत हों

जिनका अर्थ निकलता हो

मन नियंत्रित होता हो | 

आशा 



24 फ़रवरी, 2022

छवि दुल्हन की

 

         प्यार की हथकड़ी बेड़ी 

जब लगी बंधन में बंधी  

कष्ट हुआ अनजाने लोगों में  

पर मन में मिठास घुली |

उन हथकड़ियों ने धीरे से  

कब अपनी जगह बनाली

  चूड़ियों खन खन बोलतीं 

अपनी उपस्थिति दर्ज करातीं |

पैर भी सूने नहीं रहते   

उनकी भी बेड़ियाँ बोलतीं

जब भी पैर हिलते

पायल बिछिये के घुँघरू बजते |

उन हथकड़ी बेड़ी  की

 है  एक ही  विशेषता

उनके बंधन हैं ऐच्छिक

कोई जोर जबरदस्ती नहीं  |

जन्म जन्मान्तर तक रखना है

 इन्हें जतन से कहीं खो न जाएं 

 बंधन जब पुराना होगा

 प्यार की मिठास बढ़ेगी |

हाथों पैरों की शोभा

 दो गुनी हो गई  

 सिन्दूर बिंदी का आकर्षण

 चौगुना हुआ जब मेंहदी लगाई |   

सजने सवरने पर

सौंदर्य निखर कर आया है  

अनोखी छवि लाल साड़ी वाली

नई नवेली दुल्हन ही है  |  

आशा