मैंने तुम से बहुत कुछ सीखा
है
शयद कुछ और नहीं
कई बार कभी तालमेल न हो
पाता
मुझे बहुत क्रोध आता था
तभी मैं जान पाती था अपनी
कमियाँ
अपने पर नियंत्रण रख पाना
बहुत कठिन होता था
मुझे लज्जा का अनुभव होता
फिर आंसुओं का सैलाब उमढता
उन्हें पौछ्पाने के लिए
कोई रूमाल आगे नहीं आता
यह अधिकार केवल तुम्हें
दिया था मैंने |
अब सोचती हूँ कौन
सांत्वना देगा
अब मुझे तुम न जाने किस
दुनिया में खो गए हो
अब कैसे अपना समय बिताऊंगी
जीवन माना क्षणभंगुर है
क्षण क्षण बिताना बहुत कठिन है
|कभी लगता है तुम्हें मुक्ति मिल गई है
बस एक ही बात का दुःख है
तुमने मुझे अकेला अधर में
क्यों छोड़ा
अपना वादा क्यों तोड़ा |
आशा लता सक्सेना