09 अगस्त, 2023

उसने प्यार किया तुमसे

 उसने प्यार किया तुम से 

 किसी ने क्या चाहा तुमसे उपकार में

मुझे यह उचित नहीं लगा

तुम भूले मुझे क्या यह ठीक रहा |

मैंने तुम्हें अपना समझा

 तभी आस लगाई तुमसे

शायद  यही भूल मुझसे हुई 

माफी भी तुमसे मांगी मागी |

पर तुम  क्षमा करना भूल गए

तुमने मुझे अपना ना समझा 

दिखावे में क्षमा कर दिया मगर 

 मन से क्षमा नहीं  कर पाए  |

यही किसी ने क्या चाहा तुमसे उपकार में

मुझे यह उचित नहीं लगा

तुम भूले मुझे क्या यह ठीक रहा

मैंने तुम्हें अपना समझा

यही भूल की मैंने |

यह तो याद रहा मुझे जो गैर हो 

वह अपना नहीं हो सकता 

पर दिखावा भी किया जा सकता

उसका लाभ लिया जा सकता है |
 
फल  अच्छा मिलेगा या खराब 

मैं जान नहीं पाई 

 तब मन ही मन  पछताई 

खैर बीती घटना पर क्यों दुःख हो |

जो भाग्य में लिखा है वही तो होना है

अपने भाग्य से कोई बच  नहीं सकता 

ईश्वर के विधान को बदला नहीं जा सकता 

ईश्वर की कृपा तो चाहिए कुछ मिलने को | 

आशा सक्सेना 

 

08 अगस्त, 2023

किसी ने कब कहा उपकार में

किसी ने क्या चाहा तुमसे उपकार में
मुझे यह उचित नहीं लगा
 तुम भूले मुझे 
क्या यह ठीक रहा
 मैंने तुम्हें अपना समझा  
तभी आस लगाई तुमसे 
शायद यही भूल मुझसे हुई | 
माफी भी तुमसे मांगी
 पर तुम क्षमा करना भूल गए
 दिखावे में क्षमा कर दिया मगर
 मन से क्षमा नहीं कर पाए |
 यही भूल हुई मुझसे
 मैंने सोचा बात आई गई हो गई 
फिर सर ना उठाएगी 
मन को बेचैनी ना होगी |
 उसे सुख मिलेगा आगे 
पर मन में जन्मी गठान ने
 रूप विकृत किया 
शांति गायब हुई 
बेचैनी ने पैर पसारे |
 जीवन बद से बदतर हुआ 
पर क्या करते मन मसोस कर रह गए
 कोई हल ना सूझा 
आगे ना जाने क्या होगा जीवन कब सहज होगा |
 भविष्य में आशा की किरण कब आएगी 
क्षण भर भी नसीव ना हुआ |

                                                                       आशा सक्सेना 

02 अगस्त, 2023

हो जीत या हार मेरी

 

हो जीत या हो  हार मेरी

है  क्या मतलब किसी को

किसी को प्रसन्नता नहीं होती

मेरे  हर कार्य के सफल होने पर

सब को प्रसन्नता होती है मेरी हार पर 

जब भी असफल हुई लोगों ने

जश्न मनाया मिठाई खाई बड़ी से |

आशाहो जीत या हो  हार मेरी

है  क्या मतलब किसी को

किसी को प्रसन्नता नहीं होती

मेरे  हर कार्य के सफल होने पर

सब को प्रसन्नता होती है मेरी हार पर 

जब भी असफल हुई लोगों ने

जश्न मनाया मिठाई खाई बड़ी से |

आशा  

   

  

31 जुलाई, 2023

यह जीवन है इसे ऐसे ही जीना है

 

जीवन तो जीवन है 

इसको ऐसे ही जीना है 

कितनी भी कठिनाई आए 

सहन उसे भी करना है |

किसी की बंदिश सहना

 नहीं मंजूर उसे

यदि उसने सोच लिया

उसने सही मार्ग चुना है 

वह  सही राह पर चल रही |

जो मन में आया वही किया उसने

किसी के साथ ना चल पाई वह

नाही अनुसरण कर पाई किसी का

यही जिद रही उसकी उस में ही खुश रही |

छोटा समझ की जिद पूरी

किसी ने  ठीक से समझाया नहीं उसे

हर जिद्द पूरी की उसकी

मनमौजी बना दिया उसे |

आशा सक्सेना 

30 जुलाई, 2023

अपना पराया


उदास चेहरा मुरझाया आनन

 यह हाल है तुम्हारा 

मुझसे क्यओं  छि\पाया 

मुझे बताया नहीं |

तुमने मुझे अपना नहीं समझा 

 मुझे पराया समझअपने से दूर रखा  

यही मुझे दुखद लगा पर क्या करती 

यहीं मात खाई मैंने, दौनों में अंतर ना  किया |

हमने कभी सीखा नहीं 

गैर को भी अपना समझा 

 कदम रखा उस धरा पर 

जिसने उसे अपनाया |

मुझमें तुझमें है भेद क्या

 यूँ तो   किसी ने ना जताया 

पर मेरे पास आते ही 

अंतर मन को ठेस लगी उसके |

मैंने इशारे में समझ लिया 

खुद को उससे  भी  दूर किया

यह मेरा नसीब है या आशीष प्रभु का 

किसी को क्या दोष दूं मेरे  |प्रारब्ध में  यही है  |

सब से दूर रह कर चलना है 

अपने भाग्य को समझना है 

मेरे मन में कपट नहीं है 

इसे भी नहीं भूलना है |

आशा सक्सेना 

आत्मविश्वास

 हर राह पर चलने की कसम खाई 

पहले  देखीपरखी फिर राह पकड़ी 

किसी से  पूंछा नहीं ;किसी पर  भरोसा किया |

अपने पर रखा भरोसा

\किया अनुसरण अपने विचारों पर 

यही क्या कम है कठिनाई से भागा नहीं 

अपनी राह खुद चुनी यही सही किया |

किसी को दोष तो ना दिया 

असफलता सफलता के

   झुले पर झूलता रहा 

पर हिम्मत नहीं खोई|

 आत्मविश्वास ने साथ दिया 

अपने पैरों पर खडा रहा 

किसी और की बैसाखी ना चाही 

आशा सक्सेना 


मुझे तुम से कभी प्यार ना रहा कभी

 मुझे तुमसे प्यार ना  रहा कभी भी 

पर बहुत सन्मान रहा 

;इतना कि जिसे नापने का

 पैमाना नहीं है |

विज्ञान ने की इतनी प्रगति 

पर ऐसा उपकरण बनाना भूल गए 

जब तब भी कोशिश की 

अपनी असफलता पर 

मन को बहुत ठेस लगी |

पर विरोध ना कर पाए किसी का |

अपने को पहचान ना पाए 

पहले से यदि खोज लिया होता 

इतना अपमान ना सहना पड़ता 

अपने पराए का भेद समझ हर 

ब्यवहार एक जैसा रखते 

कभी नहीं उलझते |

आशा सक्सेना