24 अगस्त, 2023

अधूरा स्वप्न ना रहा

                                           अधूरा  स्वप्न  नहीं रहा, वह  पूरा हुआ 

मन की बेचैनी बढ़ती गई 

जब उड़ान चन्द्र यान -३ ने भरी

चाँद की धरती पर पहला कदम रखा |

आगे क्या हो, यह चित्रों में देखा 

बार-बार खुशी देखी, 

सब के चेहरों पर अनोखी देख चमक, 

खुशी हज़ारों वैज्ञानिकों के मुखमंडल पर 

जिसने भी यह सब देखा 

बधाई का क्रम जारी रहा |

आगे बढ़ने के लिए सारी कोशिश हुई सुुकारथ 

अब चन्द्र यान से रोवर चाँद  की सतह पर उतारा 

यही आशा आगे  और नई खोजों से होने लगी 

एक सफलता देख आगे के स्वप्न सजने लगे   |

अधूरा स्वप्न ना रहा 

पूरा होने का सही वक्त देख 

अन्तरिक्ष विज्ञान मिशन 

मेेहनत से पूरे किये जाएंगे |

आगे और मिशन पूरे होंगे जिन पर कार्य किया जाएगा 

वैज्ञानिकोंं की मेहनत रंग लाएगी

जय भारत जय इसरो की खुशी से सारा देश डूबा 

 देशवासियों की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा |


आशा सक्सेना 





22 अगस्त, 2023

कलह का प्रभाव

 

कलह का प्रभाव जीवन पर 

कब हुआ वह समझ ना पाई 

कलह जीवन में कब आई

वह जान नहीं पाई |

अब सूना सूना घर लगता

सब ने उससे मुँँह फेर किया 

कारण भी नहीं बताया

यही उसके सोच का कारण बना

खुशियों ने मुँँह फेरा 

अब रही उदास जिन्दगी 

यही नहीं भाया उसको

नयनों में अश्रुओं का तालाब भरा

इसमें एक कलसा जल भी

और नहीं समा पाया

मन बेचैन हुआ |

और यह अब समझ आया

किसी पर अति विश्वास करे या नहीं

अपने पर भरोसा अवश्य रखें

या उसे भी दर किनारे करें   

किसी बहकावे में नहीं आएं|

अपने विवेक का सदुपयोग करें पर धैर्य से

दस बार सोचें तब ही कोई निर्णय लें

इसकी ही आवश्यकता है

सफलता को हासिल करने के लिए |



आशा सक्सेना  

20 अगस्त, 2023

हमारी बिल्ली कोजी का मानवीय कारण

 

पहले कभी सोचा ना था 

जानवरों हो भी समझ होती है 

हमने तो उसे खिलोना समझा था

दिन भर सोता था भूले से जगता था | 

रात में जागरण करता 

घर की रखवाली करता 

यदि कोई अजनबी आता

 उसके आसपास चक्कर लगाता |

यदि कुछ भी सामान को हाथ नया व्यक्ति लगाता 

वह  वहीं  बैठ कर अपनी पूँछ हिलाता 

जब तक कोई उस पर ध्यान ना देता 

वह वहीं डटा रहता अपना गुस्सा दिखाता |

रात को आठ बजे

 अपनी बहिन की राह देखता जैसे ही घंटी बजती 

वह  दर  पर जा बैठता 

उसकी राह देखता भोजन के लिए |

भोजन मिलते ही खेलने का मन बनाता 

दौड़ कर छिपता

 उसे खोजने को दौड़ना पड़ता |

आशा  सक्सेना 

जोर से आवाजें करना पड़तीं 


19 अगस्त, 2023

लोग आज की दुनिया के

यह चमक दमक देखते 

आकृष्ट होते इस दुनिया के आकर्षण से 

जो भी वस्तु होती नवीन और आकर्षक 

उसे पाने की मनोकामना  रखते  |

ये दुनिया जैसी है वैसी दिखाई नहीं देती 

कई मुखोटे लगे यहाँ रहने व़ालों से चहरे पर 

उनकी असलियत पहचानी नहीं जा सकती 

कथनी और करनी में अंतर  बहुत है |

यदि होते एक सामान  बात ही कुछ और होती 

सफलता से दूर ना  होते 

खुश हाली जीवन में आतीजीवन को रंगीन बनाती |

जो लोग सारी चमक से दूर रहते 

वे ही सफल होते जीवन में 

यदि सफलता ना आती जीवन में 

वे  अपनी करनी को कैसे असफल  होने देते |

यदि जीवन बेरंग होता जीवन से मन उचट जाता 

बेनूर जिन्दगी का क्या फ़ायदा वह  ना तो  खुद जीवंत रह पाती 

नाही अपनी खुशियाँ बांट पाती अपनों 

|इन सतही जीवन के वादों से क्या लाभ 

समझते ही नहीं दिखावे की दुनिया  जीने वाले 

सभी सतही बातों  से जीता नहींजा सकता 

ऐसे दिखावे की दुनिया में कोई कैसे जीए  |


आशा सक्सेना 



18 अगस्त, 2023

जीवन किसी का व्यर्थ नहीं

 

जीवन किसी का व्यर्थ नहीं

 जो चाहे अपनाए पर मांगे नहीं  उधार

किसी के आगे हाथ ना  पसारे

आत्म सम्मान  को कभी ना  खोने दे |

किसी से मिली शिक्षा को

  मन में सजाए रखा है बड़ा संतोष मिलता

 जब सुनी अपनी प्रसंसा अन्यों से

उसे अपनाने में कोई घाटा तो नहीं हुआ

पर जो मार्ग पसंद किया वही सही मिला |

मैं खुश हूँ मुझसे कोई असंतुष्ट नहीं है

सब को यथोचित सम्मान मिला है

समाज में नाम मिला है मुझे

वही सब को अपनेपन का अहसास करता है|  

आशा सक्सेना |

17 अगस्त, 2023

कभी स्वप्न ना देखा

 कभी भी स्वप्न ना देखा 

,नई दुनिया बसाने का 

जो अपने पास है ,

उससे ही मन बहलाया 

ऊंची उड़ान ना भरी,

 आसमान को पाने के लिए 

नहीं देखा स्वप्न ,वह सब पाने का ,

जो कभी भी पास ना  था |

हर उम्र के कुछ स्वप्न,

जो  कभी पूरे भी नहीं हुए 

 उम्र बीती जब पीछे रह गई,

 तब सोचने का समय मिला 

पर मन को  ना समझा पाई 

ना ही मन को  दुखी होने दिया

, दी   सांत्वना बड़े प्यार से 

कभी दोष नहीं दिया अपने  भाग्य को 

सब छोड़ दिया प्रभु के हाथों  में 

निम्न पंक्ति याद आई 

''बिना मांगे  मोती मिले मांगे मिले ना  भीख"

आशा सक्सेना 


मार्ग भक्ति का

 हमने की  खोज तुम्हारे दर की 

तुमने भी नहीं सोचा राह है किधर 

 भक्त को तो पता था तुम्हारे दर का

उसने दिखाया राह का पता मुझे |

मैंने किया धन्यवाद उसका 

उसने भक्ति मार्ग की राह दिखाई मुझे 

मुझे अच्छा लगा राह जान कर 

अब मुझे भक्तिमार्ग बड़ा भला लगता|

जब से  अपनाई मैंने भक्ति करने की 

मन मेरा विभोर हुआ रमता गया भक्ति में  

प्रभु मझे देर तो हुई पर

 मन से क्षमा मांगी सच्चे दिल से |

अब मेरा सारा समय बीत जाता

 तुम्हें याद करने में 

सिया राम सिया  राम जपने में 

आत्मविश्वास लिए साथ में |


आशा सक्सेना