१-बाई ने कहा
जन्म महावीर का
सब मनाते
२-जन्म दिन है
आज हनुमान का
हम मनाते
३-हनुमंत जी
सीता राम भक्त हुए
सब जानते
४-राम रहीम
सदा एकसाथ हैं
हमारे पूज्य
आशा
१-बाई ने कहा
जन्म महावीर का
सब मनाते
२-जन्म दिन है
आज हनुमान का
हम मनाते
३-हनुमंत जी
सीता राम भक्त हुए
सब जानते
४-राम रहीम
सदा एकसाथ हैं
हमारे पूज्य
आशा
एक वह दिन था जब
हमें जानता न था कोई
किसी कार्य को करने के लिए
बाहर वालों का मुंह देखना पड़ता था |
बहुत कठिनाई हुई इस समाज में
खुद को स्थापित करने में
पर जब सफलता पाई
खुशियों से मन भरा |
अब सोच लिया ना डरने से
हिम्मत से सभी कार्य करने में
कभी पीछे ना हटेंगे
यही हिम्मत अब उत्पन्न हुई
दिल को विश्वास आया
कदम पीछे ना हटेंगे कभी |
आशा सक्सेना
खुशियाँ ही खुशियाँ प्रति दिन
फैली यहाँ वहां चारों ओर
यह मैंनेभी अनुभव किया
दुःख होता है क्या मुझे मालूम नहीं |
सुख क्या है और दुःख क्या
मैने जानने की कभी कोशिश ना की
सुख को मैंने अपनाया
दुःख की परवाह ना की |
सभी ने सराहा किसीने बुरा ना कहा
सभी ने प्रशंसा की मेरी
,ईश्वर ने मुझे बक्षी नियामत
खुशियूं के रूप में जिसे मैंने भाग्य समझा |
सोचा मुझसा कोई ना भाग्य शाली हुआ
आज तक इस भवसागर में
जब दुःख पर नजर डाली
कष्टों की सीमा दिखाई ना दी |
एक बार मन में आया
प्रभु ने क्यों बचाया मुझे
मेरे सत्कर्मों से होकर प्रसन्न
या यश मैंने कमाया अपने गुणों से |
आशा सक्सेना
सुर्ख अधर तुम्हारे
दन्त पंक्ति दाड़िम के बीज जैसी
चंचल चितवन करती आकृष्ट सभी को
मुस्कान तुम्हारी चहरे की |
यह भोलापन यह मासूमियत
इतनी सहज नहीं मिल पाती
होते बहुत भाग्यशाली
जो नवाजे जाते इस अद्भुद प्रसाद से |
जो देखता सोचता यह रूप कहाँ से पाया
तुम्हारे सत्कर्मों से या प्रभु की कृपा से
सच में तुम ने बहुत भाग्य से पाया है यह सब
अद्भुद हो तुम और तुम्हारा रूप |
आशा सक्सेना
सुबह से शाम तक जीवन
जीवंत करने का अरमां
मन में रहा
किसी से सलाह ना ली |
जैसे ही समय बीता उम्र
बढ़ने लगी
उम्र की कठिनाइयां ले साथ
कोई दया नहीं हो पाली किसी की
शायद मुझे यह भी मंजूर ना था|
तभी उलझने बढ़ती गईबढ़ती उम्र
के साथ
आकांक्षाएं कम ना हुई,बढ़ती गईं
दौनों की दूरियां स्थिर होती जा रही
घटने का नाम ना लेती
जीवन कठिन पहेली सा हो जाता
जिससे जीने में कठिनाई होती
यूँ तो आज किसी का कोई नहीं है
तुम समझो या ना समझो
किसी को अपने व्यवहार से
अपनाया भी जा सकता है |
तुम जानों या ना जानो
अपने झुकने से विनम्ब्र होने से
किसी को ख़ुशी मिले यदि
इससे बड़ी बात क्या होगी |
हमने तो एक ही बात
सीखी है अपने बड़ों से
गैरों को अपनाने से
गले लगाने से
बड़ी संतुष्टि मिलती है |
अपना होने की कला सब नहीं जानते
जो ख़ुशी मिलती है यदि बांटी जाए
और किसी को संतुष्टि मिले
तब विनम्रता से हानि नहीं होती |
दो बोल मीठे यदि बोले जाएं
मन में ख़ुशी छा जाती है
वही अपना हो जाता है
अपने करीब आ जाता है|
बस हमें और क्या चाहिए
अपने सब नजदीक चाहिए
वही है अपना जो हमारा
सुख दुःख समझे |
हमारा होने का एहसास कराए
दिल से हमारा हो जाए
सच्चा मित्र रहे कभी ना बदले
कठिन समय होने पर काम आए |
आशा सक्सेबा
काले कजरारे आकर्षक नैनों वाली
बोलती निगाहें तेरी चिलमन से झाँक कर
इसी एक अदा पर रीझे हम
किसी से बचा कर नयनों से बातें करते हम |
कोई भांप ना सका इन बातों को
हम दौनों के सिवाय
तुमने बड़ी अकाल लगाई इस वार्तालाप में
हलके से झाँक कर देखा इशारों से समझाया
मिलने का ठिकाना बताया
हुई सफल अपनी योजना में
किसी का ध्यान ना गया
काले कुंतल अपने को रोक ना सके झांके बिना
हुई सफल हम दौनों की योजना
|तुम्हारा रूप मेरा आकर्षण जग जाहिर ना हो पाया |
आशा सक्सेना