14 मार्च, 2024

सहज सुदर

 

काले कजरारे

प्यारे बड़े दीखते

दो नयना मतवारे

जल भरा नयनों में

उसकी  रफ्तार

बहती नदिया सी

साथ लिए जाती

कई कण जल  

अपने संग |

सभी को पसंद हैं

येजल भरी  आँखें

निराला अंदाज लिए

सभी चाहते उनसा होना |

मुझे भी पसंद

 ये भोली  प्यारी आखे |

आशा सक्सेना

काले कज्ररारे

 

काले कजरारे

प्यारे बड़े दीखते

दो नयना मतवारे

जल भरा नयनों में

उसकी  रफ्तार

बहती नदिया सी

साथ लिए जाती

कई कण जल  

अपने संग |

सभी को पसंद हैं

येजल भरी  आँखें

निराला अंदाज लिए

सभी चाहते उनसा होना |

मुझे भी पसंद

 ये भोली  प्यारी आखे |

आशा सक्सेना 


12 मार्च, 2024

दो कबूतर एक साथ

 





१-दो कबूतर 

बैठे एक डालपे 

गुटर गूं की 

-दाना खा रहे 

मिल बांट कर प्यार से 

खुश हो कर 

- प्यार ही प्यार 

फैला आसमान में 

मीठी बोली है 

 उड़ान भरी

 कबूतर सामान 

नही आराम 

-है मेहनती 

किसी से कम नहीं 

अलग दिखे 

संदेश देता 

अपनी ही  प्रिया को 

पत्र दे कर 

कबूतर है 

साथ में कोई नहीं 

 पत्र वाहक 

अनुशासन 

  कबूतर सामान 




-दो कबूतर 

बैठे एक डालपे 

गुटर गूं की 

-दाना खा रहे 

मिल बांट कर प्यार से 

खुश हो कर 

- प्यार ही प्यार 

फैला आसमान में 

मीठी बोली है 

 उड़ान भरी

 कबूतर सामान 

नही आराम 

-है मेहनती 

किसी से कम नहीं 

अलग दिखे 

संदेश देता 

अपनी ही  प्रिया को 

पत्र दे कर 

कबूतर है 

साथ में कोई नहीं 

 पत्र वाहक 

अनुशासन 

  कबूतर सामान 

नही आराम 

-है मेहनती 

किसी से कम नहीं 

अलग दिखे 

-संदेश देता 

अपनी ही  प्रिया को 

पत्र दे कर 

-कबूतर है 

साथ में कोई नहीं 

 पत्र वाहक 

अनुशासन 

सिखा  रहा  किससे

कहाँ जाकर 


 





१-दो कबूतर 

बैठे एक डालपे 

गुटर गूं की 

-दाना खा रहे 

मिल बांट कर प्यार से 

खुश हो कर 

- प्यार ही प्यार 

फैला आसमान में 

मीठी बोली है 

 उड़ान भरी

 कबूतर सामान 

नही आराम 

-है मेहनती 

किसी से कम नहीं 

अलग दिखे 

संदेश देता 

अपनी ही  प्रिया को 

पत्र दे कर 

कबूतर है 

साथ में कोई नहीं 

 पत्र वाहक 

अनुशासन 

  कबूतर सामान 



आशा सक्सेना






10 मार्च, 2024

बचपनसे योवन तक

 आज की हंसती खिलखिलाती

 मधुरता बिखेरती बालाओं का   

जीवन है अनमोल  वेश कीमती 

हैं घर की रौनक वे 

दो परिवारों की सम्रद्धि हैं वे 

उनसे  किसी की तुलना नहीं

 स्वर्ग सा प्रतीत होता है 

जहां  हो वास बालाओं का 

वह घर हरा भरा खुशियों से 

महक आती है पुष्पों की 

सुरभि फैल जाती है दूर तक |

बचपन की रौनक किसी से कम नहीं 

घर भरा जाता है किलकारियों से बचपन की |

सुधड़ हो जब दूसता घर आबाद करती 

सब की खुशी का ठिकाना नहीं होता 

वह  हो कर सफल गृहणी 

सभी का अभिमान होती |

आशा सक्स्तना 





08 मार्च, 2024

वसंत पंचमी

 आया मोसम वसंत  का 

हर ओर हरियाली छाई 

खिले फूल पीले धरा  पर 

रंगीन हुआ प्रकृती का रंग 

मन हर्षित हुआ झूमा

गीत गाए खुश होकर 

यही भाव कविता में भरे 

सभी की पोशाको में झलके 

हुआ रंगीन समा वासंती चारों ओर

वाग देवी का  पूजा अर्चना किया 

मनाई वसंत पंचमीं

पीले मीठे भात से 


आशा सक्सेन


तुलना दौनों की

 

इन सारी हरकतों का 

बेमतलब की तांका झाकी का 

कोई अर्थ नहीं 

ये सब को रास न  आती

मन को जब रास न आए

जिन्दगी ही रूठ जाए |

सही राह मिलते ही

जीवन सही पटरी पर

नहीं चाहता 

जाने के लिए अपना मन बनाए

इघर उधर झांकते

सारा जीवन बीत गया है

यूँही इधर उधर झांकते

कोई हल नहीं निकला

सितारा देखा जब भी

तुम से किसी की तुलना नहीं हो पाई |

तुम चाँद और तारे आसपास तुम्हारे

तुम सा कोई नहीं आकाश गंगा में

जैसे भी हो सब से अलग हो 

 हो सारे आसमान में |

बड़ी सफलता पाई इसरो  ने

तुम पर भारत का तिरंगा झंडा फैला कर

प्रधान मंत्री मोदी ने भी की दिल से  प्रशंसा

यहाँ की  प्रगति देख कर |

आशा सक्सेना