खडा हुआ सच सामने ,धूमिल कल की याद |
हो ना जाने कल क्या,
मन की है आवाज ||
रोना धोना व्यर्थ लगते ,लाठी बे आवाज |
जीवन मरण आज में
,बिना सार की बात ||
कटुता मन में भर गयी
,करती रही विद्रोह |
बातें चुभतीं शूल सी
,मन में होता क्षोभ ||
यही बोझ मन पर लिए
,आये तेरे द्वार |
माँ तू सब कुछ जानती
,नैया करदे पार ||
माँ आए तेरी शरण में
,तू ही अंतिम आस |
अपनी त्रुटियाँ
जानते ,पर तुझी पर विश्वास ||
आशा
,