30 जुलाई, 2020

सूर्य की अटखेलियाँ



 सात घोड़ों के रथ पर हो सवार 
 प्रातः से सांध्य बेला तक
आदित्य तुम्हारे रूप अनूप
सुबह तुम्हारी रश्मियाँ अटखेलियाँ करतीं
हरी भरी वादियों में |
कभी धूप कभी छाँव होती
बादलों के संग तुम्हारी  लुका छिपी में
जितना आनंद आता 
शब्दों में बयान  मुश्किल होता |
कभी वृक्षों की ओट से  झांकना
कभी तेज तपता दहकता  रूप दोपहर में
कभी आगमन कभी पलायन
है यह कैसा खेल तुम्हारा |
सांझ होते ही अस्ताचल में जा छिपते
दूर से थाली से दिखते
रात को भी विश्राम न करते  
चाँद की रौशनी है तुमसे  |
है चाँद तुम्हारा ऋणी  
वह यह कभी नहीं  भूलता
  भोर होते ही तारों के संग
 व्योम में कहीं  दुबक जाता |
खेल ही खेल में तुम्हारा
 सारा दिन कहाँ निकल जाता
पर  जो आनंद हमें  आता
 उससे कोई दूर नहीं कर  पाता |
आशा




29 जुलाई, 2020

पद चिन्ह





जब हो आचरण ऐसा कि
 पद चिन्हों  पर चल कर जिसके
गर्व होने लगे  श्रद्धा में सर झुके
 सब कहें किसके अनुयाई हो |
 बात यही  आकर्षित करती  सब को
पहले जानकारी लेते अनुयाइयोँ से
फिर दिल की इच्छा जानना चाहते  
स्वीकृति मिलती तभी कदम आगे बढ़ाते | 
गुरू चुनते बहुत छानबीन कर
यह खेल नहीं है आज जिसे चुना
मन को रास नहीं आया तो बदल लिया
पानी पीजे छान कर गुरू कीजे जान कर |
सच्चा  गुरू  यदि मिल जाए
 उसके ही  पद चिन्हों पर चल कर
 यह  जिन्दगी सफल हो जाए
कहावत पूरी सत्य हो जाए |
हो  व्यक्तित्व  ऐसा कि हो प्रकांड पंडित  
मुख मंडल  से तेज टपकता हो
हो वाणी  ऐसी मन मोहक
कि मन मन्त्र मुग्ध हो जाए |
छल छिद्र से दूर प्रभु भक्ति में लीन
उसके ही पद चिन्हों पर चल कर
दुनिया के प्रपंचों से दूरी रहेगी
गुरू शिष्य परम्परा का उदाहरण रहेगी   |
आशा



28 जुलाई, 2020

पदचाप तुम्हारी


                                      पदचाप तुम्हारी धीमीं सी
कानों में रस घोले
था इंतज़ार तुम्हारा ही
यह झूट नहीं है प्रभु मेरे |
जब भी चाहा तुम्हें बुलाना
अर्जी मेरी स्वीकारी तुमने
अधिक इंतज़ार न करवाया
धीरे से पग धरे कुटिया में |
तुम्हारी हर आहट की है पहचान मुझे  
कितनी भी गहरी नींद लगी हो
या  व्यस्तता रही  हो
तुम्हारी पदचाप का अनुसरण है प्रिय मुझे |
इसे मेरी  भक्ति  कहो  
या जो चाहे नाम दो
 इससे  मुझे वंचित न करो
 यही  है  मेरा अनुराग तुमसे |
चाहे कोई  इसे अंधभक्ति कहे
 है मेरे जीने का संबल यही
अपना सेवक जान मुझे
चरणों में दो स्थान मुझे |
हूँ एक छोटा सा व्यक्ति
तुम्हारे चरणों की धुल बराबर
यही  समझ स्वीकार करो
 मेरा बेड़ा पार करो |
आशा


27 जुलाई, 2020

हाईकू (अश्रु जल )



                                                                  १-आँखों का जल 
                                                                समुद्र के पानी  सा 
                                                                     खारा लगे है
२- बिना जल से
हैं नैनों के झरने
बहते जाते
३-कोरी हैं आँखें
सुन्दर नहीं है वे
जल के बिना
४-छलकी आँखें
बिना कारण नहीं
दुखी है मन 
५-धैर्य अश्रु का 
खोना नहीं चाहता 
रिसता नहीं 
६-बाढ़ आगई 
मुख जल से भरा  
डूबा नहीं है
७-दो बूँदें  नहीं
अश्रुओं की नैनों में
है कैसा मन
आशा


26 जुलाई, 2020

है उद्देश्य मेरा

 
                                    हम भी कहाँ हर बार लिखेंगे
देखेंगे ,सोचेंगे ,विचार करेंगे
फिर कुछ लिखने का प्रयास करेंगे
 जो कुछ लिखेंगे बड़े प्यार से लिखेंगे |
तेरे विचार और कलम मेरी
कुछ भी नया  नहीं है
मुकाबला जीतेंगे हार नहीं मानेगे
सफलता का परचम फैलाएंगे |
खुद पर भरोसा है मुझको
कभी स्वप्नों में जीना नहीं सीखा
कठोर धरा से है परिचय मेरा
सत्य की राह होती कठिन पर असंभव नहीं |
 मार्ग में कितनी भी बाधाएं  आएं  
पग पीछे नहीं हटाऊंगी
आगे बढ़ने का प्रयास करती रहूंगी   
हार से ज़रा भी नहीं घबराऊंगी |
एकलव्य सा  ध्यान किया है  केन्द्रित
कहीं वह भटक न जाए यही उद्देश्य  है  मेरा
इसी  पर  केन्द्रित सारा  अवधान मेरा |
यदि तुमने साथ दिया  मेरे  हाथ  में होगी
वह बड़ी सी ट्रोफी और गुलदस्ता
चेहरा दर्प से दमकेगा 
 तुम्हें भी प्रसन्नता होगी मेरी सफलता पर  |
आशा