18 सितंबर, 2020
मेरी बहन
15 सितंबर, 2020
हिन्दी
हिंदी दिवस
है हमारी भाषा हिन्दी
हमें बहुत प्यार है
अपनी भाषा से
हिंदी दिवस मना रहे
बड़ा धूमधाम से |
दिन रात बोलते नहीं थकते
है इतनी प्यारी भाषा
दूसरी भाषाओं से घुलमिल जाती
पानी में चीनी जैसी |
है सरल भाषाविज्ञान इसका
बोधगम्य है व्याकरण इसकी
आसानी से समझी जा सकती है
lलिखी पढ़ी जा सकती है |
तभी तो है प्यारी दुलारी हिन्दी
है यही विशेषता इसकी
जिसने इसे सीखना चाहा
उसमें ही खो जाता है |
14 सितंबर, 2020
वृक्ष
13 सितंबर, 2020
है क्या सोच तुम्हारा
कभी तुम ने सोचा नहीं
बताया नहीं है क्या तुम्हारे मन में
क्या चाहते हो मुझ से |
अनगिनत आकांक्षाएं अपेक्षाएं
मुझे भी तुम से होगी
कोई तो अपेक्षा तुमसे
कभी जानना चाहा नहीं |
हो कितने निजी स्वार्थ में लिप्त
कभी सोचतो लेते मैंने तो
प्यार किया था तुमसे
शायद तुम्हें अब याद न हो
जब होती विरह वेदना
तब पता चलता तुम्हे |
कभी तुम ने सोचा नहीं
बताया नहीं है क्या तुम्हारे मन में
क्या चाहते हो मुझ से |
अनगिनत आकांक्षाएं अपेक्षाएं
मुझे भी तुम से होगी
कोई तो अपेक्षा तुमसे
कभी जानना चाहा नहीं |
हो कितने निजी स्वार्थ में लिप्त
कभी सोचतो लेते मैंने तो
प्यार किया था तुमसे
शायद तुम्हें अब याद न हो
जब होती विरह वेदना
तब पता चलता तुम्हे |
11 सितंबर, 2020
क्या सोच रहे हो ?
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क्यूँ अकेले खड़े निहार रहे
मौन व्रत धारण किये
मूक मुख मंडल पर
मुखर होने को बेकल
शब्दों को पहरा मिला |
दिल पहले तो बेचैन हुआ
फिर तुम्हें समझना चाहा
ऐसी उथल पुथल है
आखिर मन में क्यूँ ?
हो इतने बेवस लाचार क्यूँ ?
शायद यही सोच रहता है
हर पल तुम्हारे मन में |
पर क्या कभी सोचा है
इस दुनिया में हैं
अनगिनत ऐसे इंसान
बुरी स्तिथी है जिनकी
पर जिन्दगी से हार नहीं मानी है
अभी भी जीने की तमन्ना बाक़ी है |
उनसे प्रेरणा मिलती है
पल भर के क्षण भंगुर जीवन में
प्रभु के सिवार किससे आशा करें
खुद जिए और जीने दें औरों को |
आशा