गुल और भवरों के गुंजन से ही
है शोभा गुल गुलशन की
आसपास की वादियों की
देती अद्भुद एहसासमन को
यह महज नहीं है कोई ख्याल
गुल देता शोभा तभी
जब महक पहुँचती उसकी
और वह बहुत दूर तक
देती दस्तक अपने हाथों की
छलकती रंगीनियाँ गुल की
पुरनूर फलक तलक
महक उसकी
लगाती चार चाँद उसमें
जीवंत करती गुलशन
गुलजार हजारों बार |
आसपास की वादियों की
देती अद्भुद एहसासमन को
यह महज नहीं है कोई ख्याल
गुल देता शोभा तभी
जब महक पहुँचती उसकी
और वह बहुत दूर तक
देती दस्तक अपने हाथों की
छलकती रंगीनियाँ गुल की
पुरनूर फलक तलक
महक उसकी
लगाती चार चाँद उसमें
जीवंत करती गुलशन
गुलजार हजारों बार |
आशा