बहुत दिल से
पर तुमने न सुनी अरदास
ऐसा किस लिए ?
सच्चे दिल से निकली आवाज
और इन्तजार भी किया था
मगर तुम न आए
यह बर्ताव क्या अनुचित नहीं
या मेरी ही धारणा गलत थी |
- मन ने सोचा विश्वास जागा
- तुम जरूर आओगे आवाहन पर |
- यह |कठिन तो है पर असंभव नहीं
- तुमने दर्शन दिए हों |किसी को| |
- उसका मनोरथ पूर्ण न हुआ हो |
- अब मैं भी समझ गई हूँ
- इतना सरल नहीं हैं तुम्हारे दर्शन
- बहुत थक गई हूँ औरअब जा कर
- दर्शन किये हैं तुम्हारे |||
- अपनी सफलता पर |||
- \
- आशा