अपने जादू से तूने
सब को लुभाया है |
काकुल चहरे पर
आ छु गयी इस भांति
काली घटा देख कर
चंद्र शरमाया है |
सारे सुख सारी सुविधाएं
पा कर भी कुछ नहीं किया
झूठी सच्ची बातों से
सारे घर को बहकाया |
हर सुविधा का दुरूपयोग किया
खुद को बहुत योग्य समझा
सभी की सलाहों को
समय की बरबादी समझा |
इधर उधर यारी दोस्ती में
बहुमूल्य समय बरबाद किया
क्या यह भी कभी सोचा
आखिर भविष्य क्या होगा |
यह भी जानना नहीं चाहा
बीता कल लौट कर नहीं आता
जब अपनी अंक सूची दिखाओगे
दस जगह ठुकराए जाओगे |
आगे बढ़ने के लिए
कोई रास्ता नहीं होगा
हर ओर अन्धकार होगा
तब तक बहुत देर हो जाएगी |
आज की मौज मस्ती
और यही भटकाव
जीवन भर सालता रहेगा
दुःख के सिवाय कुछ भी
प्राप्त न हो पाएगा |
अपने को नियंत्रित रखने के लिए
सफलता पाने के लिए
प्रलोभनों से बचने के लिए
कष्ट तो उठाने पड़ते हैं
पर जब मीठा फल मिलता है
आनंद कुछ और होता है |
आशा
मैं चाहती हूँ
सोचती हूँ दूर कहीं जंगल में
घनघोर घटाओं से आच्छादित
व्योम तले बैठ नयनों में समेट
उस सौंदर्य को
अपने मन में छुपा लूं
और उसी में खो जाऊं |
यह भूल जाऊं कि मैं क्या हूँ
मेरा जन्म किस लिए हुआ
इस घरा पर आने का
उद्देश्य पूरा हुआ या अधूरा रहा |
बस अपने आस पास
प्रकृति का वरद हस्त पा
मन की चंचलता से
बेचैनी से कहीं दूर जा
एक नए आवरण से
खुद को ढका पाऊँ |
सताए ना भूख प्यास
ना ही रहूँ कभी उदास
चिंता चिता ना बन जाए
केवल हो चित्त शांत
खुलें अंतर चक्षु व मुंह से निकले
है यही जीवन का सत्व
बाकी है सब निरर्थक |
मधुर कलरव पक्षियों का
चारों ओर छाए हरियाली
हो कलकल करती बहती जल धारा
उसी में खो जाऊं |
हर ऋतु का अनुभव करू
आनंद लूं
एकाकी होने के दुख से
दूर रहूँ सक्षम बनूँ
दुनियादारी से दूर बहुत
सुरम्य वादियों में खो जाऊं
वहीँ अपना आशियाना बनाऊँ |
आशा
चाहे जहां जाते हो
इधर उधर भटकते हो
जब स्थाईत्व नहीं होगा
सुकून कहाँ से पाओगे |
जिंदगी क्षण भंगुर है
उसका कोई ठिकाना नहीं
बिना प्रेम अधूरी है
यह कैसे समझ पाओगे |
मेरे पास आओ कुछ पल ठहरो
दो बोल प्यार के बोलो
मन में छिपी भावना को
पूर्ण रूप से स्वीकार करो |
मन का बोझ हल्का होगा
फिर भी मन यदि ना माने
और बेचैनी बढ़ जाए
चाहे जहां चले जाना |
पुरानी कटु बातों को
दोहराने से क्या लाभ
जब उन पर ध्यान नहीं दोगे
वे विस्मृत होती जाएँगी |
मीठी यादों में जब खो जाओगे
शान्ति का अनुभव करोगे
संसार बहुत सुंदर लगेगा
पराया भी अपना लगेगा |
प्रेम ही तो जीवन है
जब शांत चित्त से सोचोगे
स्थिर मन हो जाओगे
फिर इसे ना भूल पाओगे |
जिंदगी आनंद से भरपूर होगी
पूर्ण प्रेम की अनुभूति होगी
एक नई कहानी बनेगी |
आशा