ओर कई रँग उसके
जाने की इच्छा हुई
अनुभव बढ़ाना चाहा |
समझाया भी गया
वहाँ कुछ भी नहीं है
जैसा दिखता है
वैसा नहीं है |
पंक है अधिक
कुछ खास नहीं है
जो भी वहाँ जाता है
उसमें फंसता जाता है|
पर कुछ पौधे ऐसे हैं
जो वहाँ ही पनपते हैं
फलते फूलते हैं
हरे भरे रहते हैं |
राजनीति है ऐसा दलदल
जहां नोटों की है हरियाली
जो भी वहाँ जाता है
आकण्ठ डूबता जाता है |
सारी शिक्षा सारे उसूल भूल
सत्ता के मद में हो सराबोर
जिस ओर हवा बहती है
वह भी बहता जाता है |
उस में इतना रम जाता है
वह भूल जाता है
वह क्या था क्या हो गया है
अस्तित्व तक गुम हो गया है |
कभी तिनके सा
हवा में बहता है
फिर गिर कर उस दलदल में
डूबने लगता है |
तब कोई मदद नहीं करता
आगे आ हाथ नहीं थामता
है यह ऐसा दलदल
यहाँ कुछ भी नहीं बदलता |
आशा