आज हम स्वतंत्र भारत के नागरिक है |यह स्वतंत्रता सरलता से नहीं मिल पाई है |
इसके पीछे कई लोगों का योगदान है |कुछ के नाम तो चमके भी पर कई तो गुमनाम ही रह गए | उन नीव के पत्थरों को भुलाना हमारी भूल ही होगी |क्रान्तिकारियों के सक्रीय योगदान को भुलाया नहीं जा सकता |
हिन्दुस्तानी मन से स्वतंत्रता चाहते हुए भी विवश थे क्यूं कि उनको बहुत दबा कर रखा जाता था |कुछ लोगों में संगठन करने की अदभुत शक्ति थी |सुभाष चन्द्र बोस ने तो आजाद हिंद फौज भी बना ली थी आजादी की लड़ाई के लिए | गांधी जी भी भारत की स्वतंत्रता चाहते थे |
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश शासन की अर्थ व्यवस्था खराब होने लगी थी |फिर भी वे भारत पर पूरा हक जमाते थे |
गांधी जी क्रान्ति के पक्षधर थे पर वे रक्त विहीन क्रान्ति चाहते थे |इस लिए उन्होंने असहयोग आंदोलन जैसे कई आन्दोलनों का सहारा ले अंग्रेजों पर दबाव बनाया और भारत को आजाद कराने का अपना सपना पूर्ण किया |
फिर भी वे देश को दो भागों में विभक्त होने से नहीं बचा पाए |वे चाहते थे कि कांग्रेस समाज सेवा करे और राजनीति से दूर रहे |पर कुछ लोग सत्ता के लोभ को ना छोड़ पाए |वे सत्ता सुख चाहते थे |महात्मा गांधी की सत्य अहिंसा और सीमित आवश्यकता की बाते भूल गए |आज हम स्वतंत्र हो कर भी कितने असहाय हें यह बात बार बार मन में उठाती है |
जब उन की गोली मार कर ह्त्या करदी गयी हमने एक महान पथ प्रदर्शक खो दिया |एक संत के प्रति यह जघन्य अपराध था |शायद यही कारण है आज होते विघटन का |
वे राष्ट्र पिता यूँ ही नहीं कहलाते |उनके गुण और सत्कर्मों ने ही उन्हें इस पद पर आसीन किया है |वे हमारे देश के गौरव हें |
आशा