हुए बेजार जिंदगी से इतने
हर शै पर पशेमा हुए
था न कोइ कंधा सर टिकाने को
जी भर के आंसू बहाने को |
हर बार ही धोखा खाया
बगावत ने सर उठाया
हमने भी सभी को बिसराया
हार कर भी जीना आया |
है दूरी अब बेजारी से
नफ़रत है बीते कल से
अब कोइ नहीं चाहिए
अपना हमराज बनाने को |
सूखा दरिया आंसुओं का
भय भी दुबक कर रह गया
है बिंदास जीवन अब
और नया अंदाज जीने का |
आशा
हर शै पर पशेमा हुए
था न कोइ कंधा सर टिकाने को
जी भर के आंसू बहाने को |
हर बार ही धोखा खाया
बगावत ने सर उठाया
हमने भी सभी को बिसराया
हार कर भी जीना आया |
है दूरी अब बेजारी से
नफ़रत है बीते कल से
अब कोइ नहीं चाहिए
अपना हमराज बनाने को |
सूखा दरिया आंसुओं का
भय भी दुबक कर रह गया
है बिंदास जीवन अब
और नया अंदाज जीने का |
आशा