नेता है आज का
स्वभाव भी बड़ा अनोखा
कभी हारता कभी जीतता
वर्चस्व की लड़ाई में
फिर भी कोइ
शिकन न दिखती चेहरे पर
ना ही ग्लानि मन में
हार का मुंह देख कर |
देखी एक समानता
अभिनेता और नेता में
अपने अपने चरित्र
में
दौनों के खो जाने की
फिर भी एक विसंगति
दिखती चरित्र को
जीने में |
अभिनेता खो जाता
चरित्र में
मन से वही पात्र
जीता
सजीव उसे बना कर
रहता
पर नेता में कुछ न
बदलता
ना ही चिंता ना स्पंदित
था जैसा वही बना
रहता
कोइ जीते कोइ हारे
फर्क उसे नहीं पडता
रहता हरदम व्यस्त
अपना घर भरने में |
आशा