वह राह दिखाई देती है
जाने से किसने रोका है
यह प्यार है कोइ सौदा नहीं
जाना है चले जाना
पर लौट कर न आना
अच्छा नहीं लगता
हर बात दोहराना
बेसिरपैर की बातों को
दूर तक ले जाना
कटुता बढती जाएगी
कभी कम न हो पाएगी
साथ साथ रहते रहते
यदि कम भी हुई तो क्या
जाने कब सर उठाएगी
उठे हुए सवालों का
सुलझाना इतना सरल नहीं
जब कोइ समानता नहीं
क्या लाभ लोक दिखावे का
केवल नाम के लिए
ऐसा रिश्ता ढोने का
है रीत जग की यही
जो जैसा है बदल नहीं सकता
स्वीकार करे या न करे
यह खुद पर निर्भर करता है
दो प्यार करने वालों का
हश्र यही होता है |
आशा