आज याद आया
 वह किस्सा पुराना 
जो ले गया उस मैदान में 
जहां बिताई कई शामें 
 गिल्ली डंडा खेलने में 
कभी मां ने समझाया 
कभी डाटा धमकाया 
पर कारण नहीं बताया |
मैंने सोचा क्यूँ न खेलूँ 
अकारण हर बात क्यूँ मानू ?
इसी जिद ने थप्पड़ से 
स्वागत भी करवाया 
रोना धोना काम न आया 
माँ का कहना 
वी .टो. पावर हुआ 
वहाँ जाना बंद हो गया  
घर में कैरम  शुरू हुआ 
आज सोचती हूँ
 कारण क्या रहा होगा 
जाने कब सयानी हुई 
मुझे याद नहीं |








