अमूल्य रत्न सा मानव जीवन
बड़े भाग्य से पाया
सदुपयोग उसका न किया
फिर क्या लाभ उठाया |
माया मोह में फंसा रहा
आलस्य से बच न पाया
सत्कर्म कोई न किया
समय व्यर्थ गवाया |
भ्रांतियां मन में पालीं
उन तक से छूट न पाया
केवल अपना ही किया
केवल अपना ही किया
किसी का ख्याल न आया |
बड़े बड़े अरमां पाले पर
कोई भी पूरे न किये
केवल सपनों में जिया
यथार्थ छू न पाया |
अमूल्य रत्न को परख न पाया
समय भी बाँध न पाया
पाले मन में बैर भाव
पृथ्वी पर बोझ बढ़ाया |
आशा