गर्मीं में ये सर्द हवाएं
कितनी अजीब लगतीं
बेमौसम की बरसातें
जीवन अस्तव्यस्त करती |
खेतों में सूखा अनाज था
सारा गीला हो गया
किसान की चहरे की खुशी
अपने साथ ही निगल गया |
बीमारी ने धर दबोचा
छोटे बड़े सभी को
मौसम में बदलाव
रास न आया सब को |
जाने क्या है प्रभु की मर्जी
शान्ति नहीं रहती
कुछ न कुछ होता रहता है
सुखानुभूति नहींहोती |
मौसम बदला तेवर बदले
आम आदमी के पर
मन तैयार न हो पाया
हर शय से जूझने को |
आशा