हालेदिल बयां करने
उदासी में गुम तुझे देख
हुआ व्यस्त कारण खोजने में |
पर सच्चाई जब सामने आई
कोइ कदम उठा न सका
तेरे ग़म में इतना मशगूल हुआ
उसे अपना ही ग़म समझ बैठा |
सहारा आंसुओं का लिया
पर वे भी कमतर होते गए
जब एक भी शेष न रहा
खुद से ही अदावत कर बैठा |
आंसू भी जब खुश्क हुए
और मन की बात कह न सका
प्यार का इज़हार कर न सका
रुसवाई का सबब बन बैठा |
आशा