पढ़ने लिखने का
अरमान बहुत है
पर समय नहीं मिलता
फिर भी समय
खोज ही लेती हूँ
जब लिखने का मन होता है
कागज़ ले प्रयत्न करती हूँ
पेन्सिल से लिखती मिटाती
पर कोई शिक्षक नही मिलता
जो प्यार से समझाए
मुझे सही राह दिखलाए
अब मैं बच्ची नहीं हूँ
अपना हित पहचानती हूँ
भारत की हूँ नागरिक
अपने को कम न आंकती
धीरे धीरे यत्न करूंगी
तभी सबला हो पाऊँगी
अपने हित अहित जान
पूर्णता प्राप्त कर पाऊंगी |
आशा
अरमान बहुत है
पर समय नहीं मिलता
फिर भी समय
खोज ही लेती हूँ
जब लिखने का मन होता है
कागज़ ले प्रयत्न करती हूँ
पेन्सिल से लिखती मिटाती
पर कोई शिक्षक नही मिलता
जो प्यार से समझाए
मुझे सही राह दिखलाए
अब मैं बच्ची नहीं हूँ
अपना हित पहचानती हूँ
भारत की हूँ नागरिक
अपने को कम न आंकती
धीरे धीरे यत्न करूंगी
तभी सबला हो पाऊँगी
अपने हित अहित जान
पूर्णता प्राप्त कर पाऊंगी |
आशा