सूखे बगिया के फूल
ना बरसा पानी
है यही कमाल
प्रीत की रीत
न तुमने जानी !
जलते दिए की
रोशनी तो देखी
पर लौ की जलन
न जानी !
फूलों की खुशबू
तो जानी
पर काँटों की चुभन
न जानी !
प्रेम की बातें केवल
किताबों तक रह गयीं
सत्य कहीं खो गया
प्रेम का माया जाल तो देखा
प्रेम की प्रवंचना
न जानी !
पायल की छम छम
तो देखी
घुँघरू की बात
न मानी !
आशा सक्सेना !