11 जुलाई, 2017

प्रश्न चिन्ह

प्रश्न चिन्ह तस्वीरें के लिए चित्र परिणाम


ज़िंदगी के हर मोड़ पर 
खड़ा है एक प्रहरी 
सवाल या निशान लिए 
हर प्रश्न चिन्ह रोकता है राह 
मन में भभकता गुबार लिए 
हर प्रश्न का निर्धारित उत्तर 
पर बहुत से अभी भी अनुत्तरित 
बहुत उलझन है इन्हें सुलझाने में 
प्रयत्न बहुत करती हूँ 
पर उदास हो जाती हूँ 
जब इन्हें सुलझा नहीं पाती !
इन अनुत्तरित प्रश्नों का हल 
कहाँ मिलेगा नहीं जानती 
फिर भी प्रयत्न थमते नहीं 
मैं चारों ओर से 
भँवर जाल में फँस गयी हूँ 
और हर प्रश्न में असफल हो रही हूँ ! 
क्या है कोई मार्ग दर्शक 
जो मुझे सही उत्तर तक पहुँचाएगा ! 
या यूँ ही हार जाऊँगी
नहीं जानती क्या है प्रारब्ध में 
फिर भी आशा पर जीवित हूँ !
कोई तो मार्गदर्शक आयेगा 
जो सच्ची राह दिखाएगा ! 

आशा सक्सेना 






06 जुलाई, 2017

यायावर

घुमक्कड़ - तस्वीर के लिए चित्र परिणाम

हूँ यायावर 
घूमता हूँ जगह-जगह 
लिए भटकते मन को साथ 
हूँ गवाह 
बदलते मौसम का 
कायनात के नए अंदाज़ का 
कभी काले भूरे बादलों का 
तो कभी गर्मी से 
तपती धरा का 
कड़कड़ाती ठण्ड में 
ठिठुरते बच्चों का 
तो पावस ऋतु में 
मनोहारी हरियाली का 
जब वृक्षों ने पहने 
नए-नए वस्त्र 
हरे-हरे प्यारे-प्यारे 
कभी मन ठहरता 
इन नज़ारों को आत्मसात 
करने के लिए 
पर यायावर अधिक 
ठहर नहीं पाता 
चल देता अगले ही पल 
किसी और नयी 
मंज़िल की ओर ! 


आशा सक्सेना 

02 जुलाई, 2017

प्रवंचना


mystry - pics के लिए चित्र परिणाम

सूखे बगिया के फूल 
ना बरसा पानी 
है यही कमाल 
प्रीत की रीत 
न तुमने जानी ! 
जलते दिए की  
रोशनी तो देखी 
पर लौ की जलन 
न जानी ! 
फूलों की खुशबू 
तो जानी 
पर काँटों की चुभन 
न जानी ! 
प्रेम की बातें केवल 
किताबों तक रह गयीं 
सत्य कहीं खो गया 
प्रेम का माया जाल तो देखा 
प्रेम की प्रवंचना 
न जानी ! 
पायल की छम छम 
तो देखी 
घुँघरू की बात 
न मानी ! 


आशा सक्सेना !  


28 जून, 2017

हम किसीसे कम नहीं



आधे अधूरे समस्त अंग 
यदि एक अंग का छोटा सा भी भाग 
अनियंत्रित हो जाए 
मन विचलित हो जाए ! 
एक-एक अंग होता उपयोगी 
यदि उसका कोई भाग खराब होता 
तब शरीर पर 
बड़ा विपरीत प्रभाव होता ! 
और तो और स्वस्थ अंग का भी 
सुचारू रहना बाधित हो जाता ! 
विश्वास डगमगाता 
और यदि वापिस आता 
वह दबंगई न संजो पाता ! 
हर बार एक अंग के संतुलन खोने से 
दूसरा भी हार जाता ! 
लेकिन जब किसी दिव्यांग को 
सक्रिय सक्षम देखते हैं तो 
मन ही मन उसे सराहे बिना 
नहीं रह पाते ! 
और मन में विचार आता है 
जब ये सब सक्षम हैं 
हर कार्य करने में तो 
हम जैसे सामान्य व्यक्ति 
क्यों नहीं जीत सकते 
किसी भी कठिनाई को !
यह सोच ही मन में 
ऊर्जा भर जाती है ! 
उत्साह संचरित कर जाती है !


आशा सक्सेना 

20 मई, 2017

आइना



है वह आइना तेरा
हर अक्स का हिसाब रखता है
तू चाहे याद रखे न रखे
उसमें जीवंत बना रहता है
बिना उसकी अनुमति लिए
जब बाहर झाँकता है
चाहे कोई भी मुखौटा लगा ले
बेजान नजर आता है
यही तो है कमाल उसका
हर भाव की एक एक लकीर
उसमें उभर कर आती है
तू चाहे या न चाहे
मन की हर बात वहाँ पर
  तस्वीर सी छप जाती है
चाहे तू लाख छिपाए
तेरे मन के भावों की
परत परत खुल जाती है
दोनों हो अनुपूरक
एक दूसरे के बिना अधूरे
है वह आइना तेरे मन का
यह तू क्यूँ भूला |


आशा


17 मई, 2017

आदत वृद्धावस्था की





एक किस्सा पुराना
बारबार उसे दोहराना
है वृद्धावस्था का
अन्दाज पुराना
कोई सुने या न सुने
मजा आता है
उसे जबरन सुनाने में
अब तो आदत सी
हो गई है
एक ही बात
दस दस बार
दोहराने की
हर बात पर अपनी 

मनमानी करने की
जिद्द ठान लेने की
सही है की
मोहर लगा देने की
कोई हँसे या न हँसे
खुद ठहाके लगाने की |



आशा

12 मई, 2017

बिल्ली

एक बिचारी
 छोटी सी बिल्ली
न जाने कैसे
 घर अपना भूली
भाई बहिन से बिछड़ी 
 भूखी फिरती 
मारी मारी 
म्याऊं म्याऊं करती 
अपनी ओर 
आकृष्ट करती
चूहों का लगता अकाल 
या शिकार न कर पाती
उन्हें अभी तक
 पकड़ ना पाती 
अपनी क्षुधा मिटाने को 
दूध ही मिल पाता
जब दूध सामने होता
उसकी आँखों में 
चमक आजाती
 जल्दी से चट कर जाती
अपनी भूख मिटाती 
जब भी दूध नहीं मिलता 
अपना क्रोध जताती 
घर में आने की
 कोशिश में 
ताका झांकी करती 
दूध यदि
 खुला रह जाता
सारा चट कर जाती 
किसी की निगाह
पड़ते ही 
चुपके से दुबक जाती 
अवसर की तलाश में रहती
दरवाजा खुला देख
भाग जाती 
कभी दूध गरम होता 
उसका मुंह जल जाता 
क्रोधित हो फैला देती 
जोर जोर से गुर्राती
अब तो  वह
ऐसी  हिल गई है 
समय पर  आती है 
दूध ख़तम होते ही 
मुंह अपना चाटती है 
है सफाई की दरोगा 
जाने कहाँ  चली जाती है
जिस दिन वह ना आए 
बहुत याद आती है |
|
आशा