21 सितंबर, 2017

बहुरंगी हाइकू



माता की कृपा 
रहती सदा साथ 
मेरी रक्षक 

स्पर्श माता का 
बचपन लौटाता 
यादें सजाता 

माँ का आशीष 
शुभ फलदायक 
हो शिरोधार्य 

माँ की ममता 
व पिता का दुलार 
दिखाई न दे 

माँ की ऊँगली 
डगमगाते पाँव 
दृढ़ सहारा 

माता के साथ 
बालक चल दिया 
विद्या मंदिर 

जीवन भर 
कभी न करी सेवा 
अब श्राद्ध क्यों 

मन की पीड़ा 
बस पीड़ित जाने 
और न कोई 

सच में होता 
ऐसा ही परिवार 
सोचती हूँ मैं 


आशा सक्सेना 


17 सितंबर, 2017

अनुरागी मन



है सौभाग्य चिन्ह मस्तक पर
बिंदिया दमकती भाल पर
हैं नयन तुम्हारे मृगनयनी
सरोवर में तैरतीं कश्तियों से
तीखे नयन नक्श वाली
तुम लगतीं गुलाब के फूल सी
है मधुर मुस्कान तुम्हारे अधरों पे
लगती हो तुम अप्सरा सी
हाथों में रची मेंहदी गहरी 
कलाई में खनक रहे कंगना 
कमर पर करधन चमक रही 
मोह रहा चाँदी का गुच्छा 
पैरों में पायल की छनक 
अनुरागी मन चला आता है 
दूर दूर तक तुम्हें खोजता 
छोड़ नहीं पाता तुम्हें !



आशा सक्सेना




11 सितंबर, 2017

जीवन संगीत


जब स्वर आपस में टकराएँ 
कर्कश ध्वनि अनंत में बिखरे 
पर जब स्वर नियमबद्ध हो 
गुंजन मधुर हो जाए !
यही मधुरता 
गूंजने लगे चहुँ दिशि
मन में मिश्री घुल जाए 
और पूर्ण कृति हो जाए ! 
मनोभाव शब्दों में उतर कर 
कुछ नया सोच 
दिल को छुए 
मधुर संगीत का हो सृजन 
उदासी आनंद में बदल जाए ! 
प्यार, प्रेम का जन्म हो 
अद्भुत पलों का हो अहसास 
जीवन में संगीत ही संगीत हो 
हर पल, हर लम्हा 
संवर जाए ! 

आशा सक्सेना  

04 सितंबर, 2017

गुरु की शिक्षा





तुम शिक्षक
हो तो वेतन भोगी
लेकिन दानी

माता के बाद
हे ज्ञान दाता गुरु
तुम्हें नमन

आपसे मिली
शिक्षा की धरोहर
अमूल्य निधि

हूँ जो आज मैं
आपका आशीष है
चरण स्पर्श

ज्ञान पुंज से
तिमिर दूर कर
प्रज्ञा चक्षु दो


आशा सक्सेना 

01 सितंबर, 2017

रेल हादसा

रेल हादसा - चित्र के लिए चित्र परिणाम

कितना कुछ पीछे छोड़ चली 
जीवन की रेल चली !
एक स्टेशन पीछे रह गया 
अगला आने को था 
पेड़ पीछे भाग रहे थे 
बड़ा सुहाना मंज़र था !
रात गहराई और सब खो गए 
नींद की आगोश में सारे यात्री सो गए !
एकाएक हुआ धमाका 
रेल रुकी धमाके से 
बिगड़ी जाने कैसी फ़िज़ा
मन में खिंचे सनाके से ! 
आये कई डिब्बे आग की चपेट में 
कई पटरी से उतर गये 
चीत्कार, हाहाकार सुनाई दिया 
यात्रियों के परिजन और सामान 
यहाँ वहाँ बिखर गए ! 
यहाँ से वहाँ तक 
घायल ही घायल 
खून का रेला थमने का नाम न ले 
भय और आशंका ऐसी सिर चढी 
कि कैसे भी उतरने का नाम न ले ! 
लोग घायलों की भीड़ में 
अपनों को खोजते रहे 
घुप अँधेरे में गिरते पड़ते 
यहाँ वहाँ दौड़ते रहे !
था पास एक ग्राम 
वहीं से लोग दौड़े चले आये 
जिससे जो बन पड़ा 
घायलों की मदद के लिए 
अपने साथ लेते आये !
आग पर काबू आता न था 
घायलों का चीत्कार थमता न था ! 
जब तक अगले स्टेशन से 
मदद आती उससे पहले ही 
सब जल कर राख हो गया 
जाने कितनों का सुख भरा संसार 
हादसे की भेंट चढ़ 
ख़ाक हो गया !
ट्रेन में बैठने के नाम से ही 
अब तो जैसे साँप सूँघ जाता है
  वह दारुण दृश्य और करुण क्रंदन 
अनायास ही कानों में 
गूँज जाता है ! 

आशा सक्सेना 




27 अगस्त, 2017

मेरी सोनचिरैया

 Little girl with a bird - pics के लिए चित्र परिणाम

चिड़िया दिन भर आँगन में चहकती 
यहाँ वहाँ टहनियों पे 
अपना डेरा जमाती 
कुछ दिनों में नज़र न आती 
पर शायद उसका स्थान 
मेरी बेटी ने ले लिया है 
जब से उसने पायल पहनी 
ठुमक ठुमक के चलती 
पूरे आँगन में विचरण करती 
अपनी मीठी बातों से 
मन सबका हरती 
खुशियाँ दामन में भरती ! 
उसमें और गौरैया में 
दिखी बहुत समानता 
गौरैया कहीं चली गयी 
अब यह भी जाने को है 
अपने प्रियतम के घर 
इस आँगन को सूना कर 
पर याद बहुत आयेगी 
न जाने लौट कर 
फिर कब आयेगी ! 


आशा सक्सेना 


22 अगस्त, 2017

नमन तुम्हें हे सिद्धि विनायक



जय गणेश, सिद्धि विनायक, 
चिंताहरण 
नाम हैं अनंत तुम्हारे 
हर नाम में छिपे हैं कई कारण 
कान तुम्हारे गजराज जैसे 
बहुत संवेदनशील और सारयुक्त 
ग्रहण करते
यथा समय बातें सुन सकते 
और निराकरण करते !
है बड़ा उदर तुम्हारा 
मोदक तुमको प्रिय रहते  
जो भी पाता ग्रहण करता !
प्रथम पूज्य गण के रक्षक 
यही तुमसे अपेक्षा 
सजग सदा रहते ! 
जब भी पुकारें दीन दुखी 
सबकी चिंता हरण करते !
नहीं किसीसे बैर भाव 
समभाव सबसे रखते ! 
समदृष्टा होकर निर्णय करते ! 
जब भी कोई आर्त ध्वनि होती 
तुम्हीं प्रथम श्रोता होते ! 
उसकी इच्छा पूर्ण करते ! 
सच्चे मन से जो ध्याता 
मनोकामना पूर्ण करते ! 
तभी तो हर कार्य में 
सर्वप्रथम पूजे जाते 
इसीलिये विघ्नहर्ता कहलाते ! 


आशा सक्सेना