कोई चाहत नहीं है अब तो
चाहा नहीं कुछ किसी से
जी जी के मरने से है बेहतर
वे दोचार दिन खुशहाल जिन्दगी के |
उन लम्हों में खो जाने के लिए
है जिन्दगी बहुत छोटी सी
किस पल सिमट जाए नहीं जानती |
जी भर कर पल दो पल खुश होंने के लिए
सपनों से लिपट कर सोने के लिए
उन पलों में मन की बातें करने के लिए
छोटी छोटी बातों के निदान के लिए |
दो चार दिन हैं बहुत खुशहाल जिन्दगी के
पलक झपकते ही बीत जाएंगे
रह जाएगा यादों का जखीरा रात ढलते ढलते
हैं दो चार दिन खुशहाल जिन्दगी के |
आशा