जब हो आचरण ऐसा कि
 पद चिन्हों  पर चल कर जिसके 
गर्व होने लगे  श्रद्धा में सर
झुके 
 सब कहें किसके अनुयाई हो |
 बात यही  आकर्षित करती  सब को 
पहले जानकारी लेते अनुयाइयोँ से 
फिर दिल की इच्छा जानना चाहते  
स्वीकृति मिलती तभी कदम आगे बढ़ाते | 
गुरू चुनते बहुत छानबीन कर 
यह खेल नहीं है आज जिसे चुना
मन को रास नहीं आया तो बदल लिया 
पानी पीजे छान कर गुरू कीजे जान कर |
सच्चा  गुरू  यदि मिल जाए 
 उसके ही  पद चिन्हों पर चल कर
 यह  जिन्दगी सफल हो जाए 
कहावत पूरी सत्य हो जाए |
हो  व्यक्तित्व  ऐसा कि हो प्रकांड पंडित  
मुख मंडल  से तेज टपकता हो
हो वाणी  ऐसी मन मोहक 
कि मन मन्त्र मुग्ध हो जाए |
छल छिद्र से दूर प्रभु भक्ति में लीन
उसके ही पद चिन्हों पर चल कर 
दुनिया के प्रपंचों से दूरी रहेगी 
गुरू शिष्य परम्परा का उदाहरण रहेगी   |
आशा 




