क्या रखा है
स्वप्नों की
उस दुनिया में
जिसमें ज़रा भी
सच्चाई न हो
है मात्र यह
कल्पना
स्वर्ग सा
आकर्षण
जहां
जीवन बेरंग
है उदास
इन कल्पनाओं में भी
फिर क्या लाभ
खोखले बदरंग से
विचारों का
हर हाल में जो
खुश न रहे
जीवन है
व्यर्थ उसका |
आशा
क्या रखा है
स्वप्नों की
उस दुनिया में
जिसमें ज़रा भी
सच्चाई न हो
है मात्र यह
कल्पना
स्वर्ग सा
आकर्षण
जहां
जीवन बेरंग
है उदास
इन कल्पनाओं में भी
फिर क्या लाभ
खोखले बदरंग से
विचारों का
हर हाल में जो
खुश न रहे
जीवन है
व्यर्थ उसका |
आशा
जब भी जन्म लेती
बहार आती
जब बहार आती
खुशी सी छाती
रहती वहीं खुशी
मस्ती रहती
खरीदी जातीं नहीं
बहती जाती
नदी की लहरों सी
देखे नखरे
बहती लहरों के
रंग खेलते
हरे भरे वृक्षों से
खिलते फूल
रंगबिरंगी डाल
दिखने लगी
सब एक साथ ही
जल की बूंदे
मन के सुकून को
देती विश्राम
होती है थिरकन
मेरे पैरों में
जब भी हवा चले
मन हो खुश
बालक सी आदतें
होती जीवन्त
देती अनूठी खुशी |
आशा
क्यूँ रह पाए साथ
समझे नहीं
एक छत के नीचे
हमारे बीच
नहीं खून का रिश्ता
जाना जरूर
फिर भी लगाव है
दौनों के बीच
यह अवश्य जाना
खोजा गया मैं
तराशी गई वह
अटूट बंध
है क्या बंधन कच्चा
खोज न पाए
गहरा लगाव रहा
यही समझा
उसमें व मुझ में
जो मन भाया
कुछ भी नहीं होती
अवधारणा
रही मन में मेरे
हुई है दृढ
तभी किया एकत्र
एक घर में
है सभी का विचार
एक ही जैसा
तभी रह रहे हैं
चहक रहे
एक छत के नीचे
न दुराव है
न मन मुटाव ही
आपस में है
समझ से
बाहर
है मेरा
तेरा
सब का रहा सांझा
रहता ही है
प्यार लगाव
कुछ भी नहीं होते
भीतर भरी
फितरती हो कर
चाहता कुछ
उसे यूँ बहकाते
कभी मन गवाही
देता है कुछ
हो जाता कुछ और
कठिन होता
प्रेम के पाठ पढ़े
पढ़ाए जाते
ह्मारी समझ से
बाहर होते
उसका आनंद ही
कुछ और है
कह कर
मनाना
प्रेम प्यार में
कठिन नहीं होता
प्रेम का
रंग
गहरा होता जब
अपने साथ
गैर की तलाश क्यों
करना चाहे
जब हो तुम
साथ
मेरे अपने
सदा रहते साथ
सुख दुःख में
क्यूँ गैरों की तलाश |
आशा
यदि प्यार से पुकारो
दौड़े चले आएँगे
नफरत से कोई रिश्ता नहीं
है
ना ही लगाव हमारा |
जिसने भी आधात किया
पलटवार से होता स्वागत
बिना बात यदि रार बढ़ाई
सुकून कहीं खो जाता |
आपसी मतभेद से दुखी कर
खुद भी सुखी न रह पाएगा
हमने किसी से रार नहीं ठानी
ना किसी बात को तूल
दिया है
ना किसी के मन को दुःखी किया है |
अपने प्यार को अन्धकार में रखना
है कहाँ का न्याय?
मेरी समझ से है
परे
इन झमेलों से खुद को अलग रखा है
खुद को बचा के रखा है |
स्वयं पर है भरोसा इतना
चाहे कितना भी हो
प्रलोभन
कोई हमारे मन को
फुसला नहीं सकता |
सच्चा बन कर बहका नहीं सकता
कोई भी उपहार या प्रलोभन
मेरी मन
के लोभ को जगा नहीं पाया
अपना गुलाम मुझे बना नहीं पाया |
तेरा प्यार ही है एक
उसके आगे मुझे कुछ नहीं सूझता
उसने मन को भरमाया है
उसको सच्चे दिल से अपनाया है |
आशा
होली के रंगों में वह मजा नहीं
जो आता है मिलने मिलाने में
गिले शिकवे दूर कर
वर्तमान में खो जाने में |
बहुत प्यार से मिन्नत कर के
जब कोई खिलाता है गुजिया
उसके हाथों की मिठास
घुल जाती है उसमें |
मन करता है हाथों को उसके चूम लूं
फिर से और खाने की फरमाइश करू
फिर सोच लेती हूँ मन को नियंत्रित रखूँ
लालच की कोई सीमा नहीं होती |
जाने क्यूँ उसकी बनी गुजिया की मिठास
बार बार खाने का आग्रह
खींच ले जाता है उसके पास
जब तक समाप्त न हो जाए गुजिया
और और की रट लगी रहती है |
अंतस का बच्चा जाग्रत हो जाता है
रूठने मनाने का सिलसिला
थमने का नाम नहीं लेता
बड़ा प्यार उमढता है उस खेल में |
प्रतीक्षा मीठी गुजिया खाने की
प्रेम से होलिका मिलन की
जब तमन्ना पूरी हो जाती है
आत्मिक संतुष्टि से बढ़कर कुछ नहीं |
आशा
रंगीन समा
रहा कोरी कल्पना
कोविद की बापिसी
हुई जब से
बिना रंग गुलाल
फीका त्यौहार
रंग जाने कहाँ हैं
लौक डाउन
मुझे दुखी ही किया
जीवन गति
क्षीण होने लगी है
कोई उत्साह
न रहा त्यौहार में
मिठास नहीं
देखा एक
ही राग
घर में रहें
समय कैसे बिताएं
मास्क पहने
सेनेटाईज करें
और क्या करें
दूरी रख चलना
बचना कैसे
बीमारी के वार से
बाहर यदि गए
कैसे बचेंगे
बीमारी का भय है
साँसे रुकी है
समय नहीं कटता
सदुपयोग
करना है इसका
क्या करना है ?
सोच कुंद हुआ है
तराशें कैसे
विचार सजग हों
यही जुगाड़
तरकीब बताओ
राह दिखाओ
समस्या सुलझाओ
निदान करो
मेरा बेड़ा पार हो
यही दुआ दो |