नृत्य संगीत से सजा
है जीवन गीत
कभी कहीं तो गीत
गाता ही है
जिसमें रुझान नहीं
संगीत के प्रति
उसका जीवन है रूखा नीरस सा |
नृत्य से
आत्मसंतुष्टि मिलाती है
नियमित हो जाता है व्यायाम
तन मन में आजाती है स्फूर्ति
मन महक उठता है फूलों
की सुगंध सा |
भजनामृत में हो मगन भक्ति भाव में डूबते
नजदीक होते प्रभू के
सच्चे दिल से ध्यान करते
प्रभु को भी रहता
ध्यान ऐसे ही भक्तों का
जो दिल से सुमिरन
करते हर समय बैठते उठते |
भक्ति में जो सुख मिलता है चौसठ मिष्ठानों से नहीं
सच्चे मन से की सेवा
से अच्छा कोई कार्य नहीं
भूखे को भोजन देना
वस्त्र दान करने से बहुत पुन्य मिलता है
गौ धन की सेवा करने से बड़ा कोई पुन्य कार्य नहीं है |
सच्चा भक्त है जो
दिल से करे वे कार्य
जिन से परहित की
भावना जुडी हो
निस्वार्थ भाव से
किये कार्य मन को सुकून देते हैं
वे सब भगवान के बहुत नजदीक होते हैं |
आशा





