मेरी आँखों में बसी
तेरी मनमोहनी सूरत
कितनी भोलीभाली
मासूम सी दीखती |
क्या मन भी तेरा
है वैसा ही कोमल
सीरत है मीठी सी
आनन पर भाव स्पष्ट दीखते
|
बदन तेरा नाजुक
खिलती कली सा है
निगाहें नहीं ठहरतीं
अभिनव सौन्दर्य पर |
यह सौगात मिली कहाँ
से
ईश्वर की कृपा द्रष्टि रही
क्या तुझ पर ?
या कोई पुन्य कार्य
किये थे
पूर्व जन्म में जो
यह
पुरस्कार मिला बदले
में |
तनिक भी गरूर नहीं
है सौम्य सुशील सुघड़
तेरे इन गुणों पर
है न्योछावर मेरा मन |