है चाँद सा मुखड़ा
चमक ऐसी
चाँद आया धरा पे
दीखती ऎसी
खिले कमल जैसी
सुडौल अप्सरा सी
कंचन देह
खंजन से नयन
दृष्टि फिसली
चहरे पर आव ऎसी
न थमी दृष्टि
किया ऐसा सिंगार
चमका दिया
चेहरा चांदनी सा
आया निखार
नूरानी चहरे पे
सजी बालिका
नया सा अंदाज है |
आशा
है चाँद सा मुखड़ा
चमक ऐसी
चाँद आया धरा पे
दीखती ऎसी
खिले कमल जैसी
सुडौल अप्सरा सी
कंचन देह
खंजन से नयन
दृष्टि फिसली
चहरे पर आव ऎसी
न थमी दृष्टि
किया ऐसा सिंगार
चमका दिया
चेहरा चांदनी सा
आया निखार
नूरानी चहरे पे
सजी बालिका
नया सा अंदाज है |
आशा
राज वही अंदाज वही
अल्फाज़ नहीं बयां करने को
मन मचल रहा सच कहने को
कैसे संवरण करूं प्रलोभान को
|
मन चाहा चटपट पाया
यही रहा सौभाग्य हमारा
जिसने की लालसा अधिक की
सब व्यर्थ हुआ ले न पाया
मन मसोस कर रह गया |
जब दिल के टुकडे हुए हजार
हर व्यक्ति ने पाना चाहा
भाग्यवान वही रहा
जिसने पाई न झलक उसकी |
श्यामल तन
मुखरित आनन
यही जीवन है
गोरी गाँव की
चलती ठुमके से
जल भरने
राह में घिर आए
कजरारे से
बादल बरसते
बह घिरी वर्षा से
बरसा मेह
तरबतर किया
नहला दिया
उसको व धरा को
सध्यस्नाना
खिली गुलाब जेसी
मन को भाई
ललाट पर भीगी
हवा के संग
लहराती काकुल
मुखड़े पर
चाद सा आकर्षण
ले कर आई |
आशा
प्रातः चला आदित्य देशाटन को
राह के नजारे मन को ऐसे भाए
वहीं ठहरने का मन बनाया |
पर समय के साथ ठहर न पाया
इस युग की देखी भागमभाग
साथ सबके दौड़ न पाया
कल दौड़ने का वादा लिया खुद से |
व्योम पर जब दृष्टि पडी
काले कजारे बादलों ने घेरा उसे
सारी चमक दमक लुप्त हो गई
अन्धकार ने ऐसा घेरा उसे |
साथ रश्मियों ने भी छोड़ा
अपने वादे को पूरा कर न सका
उलझन बढ़ती गई घटाएं गहराने से
वह हारा बदल दिशा चल दिया अन्यत्र |
सोचा उसने कोई नई बात नहीं है
बाधाएं आती रहती हैं राह में
किये बादों को पूरा करने में
सांझ हुई वह चल दिया अस्ताचल को |
आशा
\
प्यार का इजहार
है उम्र का तकाजा
कोई आश्चर्य नहीं है
यह मानना हमारा है |
जिस पर आता है योवन
वह अपने वश में नहीं रहता
हाल बेहाल हुआ जाता
उन्माद मन में नहीं समाता |
यही उसे ऎसी राह पर पहुंचाता
राह में चाहे कितने भी हों कंटक
वह सड़क हो पक्की या कच्ची
वहीं अटक कर रह जाता |
तब शूल लगते पुष्प जैसे
रंगीन समा होता मन में
सुबह शाम डूबा रहता
वह अपने ही स्वप्नों में |
कभी प्रसन्न कभी गमगीन
हुआ बेरंग जीवन
वादा न निभाया प्रिया ने
यही क्लेश बेचैन किये जाता |
यह उम्र ही है ऎसी
जिसकी शिकायत भी संभव नहीं
करें शिकायत तो किस से
कोई अपना नहीं है जिस पर विश्वास
रखें |
पहली बार देखा
आकृष्ट हुआ
जब भी देखा उसे
किये इशारे
चिलमन की ओट
देखी झलक
छू न पाया उसको
तब भी मेरे
मन में फूल खिले
एहसास हुआ
मोहक सरूप का
भा गईऎसी
दिल में समा गई
मजबूती से
थाम लिया दामन
कहीं छूटे ना
अनोखा एहसास
जागा विश्वास
नए रिश्ते का भान
मन में जागा
छूने का मन हुआ
प्यार से उसे
भर लिया बाहों में
बंधन बांधा
मोहर समाज ने
लगाई जब
भय न रहा उसे
किसी ने टोका नहीं
बढ़ा साहस
अवगुंठन हटा
देखा उसको
अन्तस् में बसाया
प्यार जताया |
आशा
\
कुछ कर गुजरने की चाह में
अखवार के पन्नों की सुर्ख़ियों में
रहने का स्वप्न सजाए मन में |
सर्द हवाओं से उत्साह ठंडा हुआ
पर हार न मानी उसने
गर्म चाय ने ऊर्जा प्रदान की थोड़ी
दुगुना जोश बढ़ाया पैरों ने गति पकड़ी |
जैसे ही पहुंचा पास लक्ष्य के
मन का उत्साह चौगुना हुआ
अपनी सफलता को समीप पाया
हाथ बढ़ा उसे छूना चाहा |
प्रयत्न की सफलता ने जितनी खुशी दी
वह बाँट न पाया अपनों से
क्यों कि था वह दूर बहुत उनसे
उसने दूर भाष पर सांझा किया |
राह पकड़ी फिर अपनों से मिलने के लिए
राह में जब देखा अखवार
खुद को पहले पन्ने पर देख
दिल बल्लियों उछला स्वप्न साकार होता देख |
आशा
दिल बल्लियों उछला स्वप्न साकार होता देख |