यह ख्याल नहीं तो और क्या है
कि उसने चुराया है सुकून तुम्हारा
कभी उसे देखा नहीं
जाना पहचाना नहीं
फिर भी धुन है कि वह तुम्हारी
बहुत कुछ लगती है |
क्या बुरा है ख्यालों में डूबे रहना
है क्या बुराई इसमें
आज तक जान न पाए
राज क्या छिपा है इस में
समझ से परे है |
अपने मन का दामन थामें रहने
में
बहुत दूर के स्वप्न देखने में
ख्यालों में डूबे रहने में
जज्बातों में बह जाने में
कोई गुनाह तो नहीं है |
बड़ी मुश्किल से मिली
तुम्हारी स्वप्नों की शहजादी
तभी दूर जाने से भयभीत हुए
हर बार यही दोहराते हो
वह तुम्हारी बहुत कुछ लगती है |
आशा