स्वप्नों का बाजार सजा हैं
आज रात बहुत कठिनाई से
किसी की चाहत से बड़ा
उसका कोई खरीदार नहीं है |
दुविधा में हूँ जाऊं या न जाऊं
स्वप्नों के उस बाजार में
कुछ स्वप्न अपने लिए खरीदूं
या चुनूं उपहार के लिए |
रात्री बिश्राम में तो बाधा न होगी
या चुनूं दिवा स्वप्नों को
दिन मैं व्यस्त रहने के लिए
खाली समय के सदुपयोग के लिए |
अभी तक निर्णय ले नहीं पाई
मुझे कोई बुराई नहीं दीखती दौनों में
ये लूं या दूसरे को स्वीकारूं
सोच में हूँ उलझन से निकल न पाई |
कोई तो मुझ जैसा सोचवाला हो
मुझ जैसा विचार रखता हो
हो सहमत मेरे ख्यालों से
मेरा हम कदम हो हम ख्याल हो |
आशा
मेरा हम कदम हो हमख्याल हो |