सब तुम्हें याद करेंगे   
जब भी बाग से गुजरेंगे 
गीतों की एक एक लाइन से 
 दूरी न सह पाएंगे प्यार से
गुनगुनाएंगे |
तुम्हारा गीत संगीत और सुर तरंग  
मन में घर करते ऐसे
 कभी भुला न पाते 
उन में खो कर रह जाते |
मैं प्रतिदिन वहां जाने का 
तुमसे मिलने का मन बनाती 
 कोई अवसर न छोड़ती 
 प्रतीक्षारत रहती तुसे मिलने को |
कब भोर हो और मैं वहां पहुंचूं 
जहां तुमसे हो साक्षात्कार 
 मन को अपूर्व सुकून मिले तुमसे मिल 
है विशेषता तुम्हारी सादगी  भरी इस उम्र की|
 तुम्हारे संगीत की महक का आनंद लूं 
मन में बसालूँ सरस्वती के इस अवतार  को 
तुम्हें एहसास  न होगा है कितना लगाव रहा
 संगीत प्रेमियों को तुम्हारे मीठे  स्वरों से | 
जब तुम्हारे  गीतों से दूर होती हूँ 
 मन उदास रहता है 
मन नहीं लगता 
जब  दूर होती हूँ उनसे | 
बुरा हाल हुआ है कलम रुक गई है 
तुम्हारे बिछुड़ने के बाद  शब्द नहीं
मिलते 
मन की बात लिखने को 
जब से तुम इस दुनिया से रूठीं हो |
 नम नेत्रों से जब दी विदाई
तुम हुई विलीन पञ्च तत्व में  
नहीं रहा सरस्वती का 
यह अवतार हमारे साथ |
अनमोल रत्न को  खो दिया    
अतुलनीय  क्षति हुई देश को
 स्वर कोकिला से हो दूर     
हुआ समाप्त संगीत का लता युग | 
आशा