मेरा मन चंचल पारद जैसा
कभी स्थिर नहीं रहता
सदा थिरकता रहता
रखता सदा व्यस्त खुद को |
कभी इधर उधर झांकता नहीं
चाहता कुछ ऐसा करना
जो किसी ने किया न हो
हो नया चमकता पारे सा |
हूँ प्रयत्नरत उसे चुनने में
खुद की छवि चमकाने में
खुद को पारद सा
उपयोगी बनाने में |
अनगिनत गुण दिखाई देते पारद में
वह पूजा जाता पारद प्रतिमा बना कर
सुन्दर सा शिवलिंग बना कर पुष्पों से
बहुत उपयोगी होता दवाइयों में|
पर बुराई भी कम नहीं उसमें
स्थिरता नहीं उसमें यहाँ वहां थिरकता
भूल से यदि खा लिया जाता
भव सागर से मुक्ति की राह दिखाता
यही बुराई दिखी मुझे इसमें |
खुद की कमियाँ
मुझे भी दिखाई देती है
पर दूरी उनसे बनी रहे
यही कामना करती हूँ |
मेरा मन स्थिर हो जाए अगर
मुझे सफलता मिल जाएगी
हर उस कार्य में
जिसकी तमन्ना है मुझे |
मन की एकाग्रता है आवश्यक
चंचलता नहीं पारद जैसी
गुण उसके हैं अद्भुद
उन जैसी चाह है मेरी |
मैं किसी की निगाहों में
गिरना नहीं चाहती
कर्तव्यों का ख्याल रख पाऊँ
ऐसा विचार रखती हूँ |
आशा