कविता के कितने रूप
तुम्हें कैसे गिनवाऊँ
कुछ होतीं अकविता
पढने में रुचिकर लगतीं |
कुछ होतीं छंद रूप में
पढने में बहुत रोचक लगतीं
पर लिखने में बहुत क्लिष्ट
कभी मात्राओं में त्रुति हो जाती
कभी लय भंग हो जाती
पर सही लिखी न जाती
दोहा ,सौराठ ,छंद चौपाई
लेखन है कठिन बड़ा |
जब सही नहीं लिख पाती
मन क्षोभ में डूबा रहता
अपने से वादा करती
छंदबद्ध रचना अब नहीं लिखूंगी |
अधूरा ज्ञान होता है घातक
पर जब प्रयत्न ही नहीं करूंगी
कैसे सीख पाऊंगी उन्हें लिखना
भावों को छंदबद्ध करना |
मैंने सोचा कई बार प्रयत्न भी किया
पर असफल रही
फिर भी कोशिस करती रही
हार नहीं मानी |
आशा सक्सेना