01 फ़रवरी, 2023

विश्वास

 


किसी का विश्वास न तोड़ा करो

तुम पर पूरा विश्वास किया सबने

केवल तुम पर उसकी आशा टिकी है   

मन को न निराश करो उसके |

कभी कारण भी पूंछ लिया करो

उदासी का सबब  उसका  

यूँ न अकारण उलझा करो सबसे

यह तुम्हें शोभा नहीं देता |

जब समस्या हल हो जाएगी

वह  खुद ही शांत हो जाएगी

 उलझनों को नजर अन्दाज करेगी

जीवन को जीने लायक रहने देगी |

किसी की बदसलूकी को मन पे ना लेना

कच्ची उम्र का खेल है  समझ लेना

है वह नादान सोच उसे क्षमा  कर देना

क्षमा कर तुम छोटे न हो जाओगे |

बड़ा मन रखोगे सदा वर्चस्व रखोगे

जीवन भर किसी से नहीं दबोगे

अपने मन पर बोझ न होगा तुम्हारे

यही बात प्रभु भी देखता है  |

जो आस्था रखता पूरी शिद्दत से

उसे किसी से डरने की क्या आवश्यकता

उसने किसी का बुरा न चाहा

नही कोई अवमानना की किसी की |

आशा सक्सेना 

31 जनवरी, 2023

प्रभु से क्या माँगा



जीने की तमन्ना थी आज

खुले आसमान के नीचे

मन ही मन ख़ुश हूँ

इस अवसर को पाकर |

कभी सोचा न था

मेरी मुराद भी पूरी होगी

मुझे कुछ भी न चाहिए

मैंने जो चाहा मिल गया है|

मैंने थोड़ा सा प्रयत्न भी

किया था मन से  

तुम्हारी सलाह भी मानी

ईश्वर की आराधना की |

यही मुझे फलदाई हुई

जीवन सुखी जीने के लिए

जितनी आवश्यकता थी

 वही जब पूरी हो गई

अधिक की चाह नहीं रही  |

 यही प्रयत्न किया जो सफल रहा

अधिक की लालसा न की

संतुष्ट मन की चमक

चहरे पर आई सौभाग्य से |

मैंने धन्यवाद किया 

प्रभू का पूरे दिल से 

हुई सफल खुश हाल जिन्दगी जीने में

जो चाहा वह पाया भाग्य से  |

आशा  

कहने को कुछ भी नहीं है


 

कहने को कुछ भी नहीं है

समझो तो बहुत कुछ है

मन की मन में रहे

यही क्या कम है |

जन्म से किसी के सब

भाग्य में नहीं होते

जब प्रयत्न किये जाते तब

आसानी से सब मिल जाते |

मन में गुंजन होता

किसी मधुर गीत का

उड़ते पक्षियों के साथ

वह उड़ना चाहता |

कोई वर्जना उसे पसंद नहीं है

स्वछन्द रहने की चाह है

जीवन में स्वतंत्र रहकर वह

खुश रहना चाहता है |

हर चाह हो पूरी नसीब में नहीं उसके

मन की करने की आदत ने

उसे बर्वाद किया है

उसे कहीं का नहीं छोड़ा |

वह अपने अन्दर

कुछ परिवर्तन चाहता है

आध्यात्म की ओर है रुझान

उस ओर ही रूचि रखना चाहता |

जाने कब ईश्वर सुनेगा उसकी

वह सबकी सुनता

वह भी लाइन में लगा है

उसकी कब सुनेगा |


आशा सक्सेना

30 जनवरी, 2023

प्रभू क्या चाहे

 

 

महक चन्दन की

खुशबू  पुष्पों की   

महक मिट्टी  की

है ईश्वर की भेट |

यही भेट प्रभू को

अर्पित की मैने

हुआ वक्त पर मददगार

बिना किसी बाध्यता के  

वह सच्ची आस्था को

जानता पहचानता है |

श्रद्धा हो उस पर 

 कोई कुछ  नहीं भी मांगे

अपने लिए बिना मांगे

सब प्राप्त होता है |

सच्ची आस्था   

है  आवश्यक  

उसे मनाने को

और कुछ नही चाहिए |

वह खुद ही

जान जाता है

याचक को

क्या चाहिया |

 

आशा सक्सेना

 

28 जनवरी, 2023

सच्चा प्यार कैसे हो


किसी के प्यार को तोला नहीं जा सकता  

  कोई नाप नहीं उसे मापने के लिए

जिसने भी यह कोशिश की वही मात खा गया

यह तो एक आतंरिक भावना है |

 जो बिना मतलव के भी  उत्पन्न होती है

 जिसे दिल से केवल अनुभव किया जाता है

यदि दिल को आभास हुआ थोड़े से झुकाव का

समझ लो प्यार हुआ वरना सब दिखावा है |

जब सच्चे प्यार को चुनते हैं दिल और दिमाग 

                                                      दौनों की  आवश्यकता होती है 

 केवल मीठी बाते नहीं कह पातीं मन क्या चाहता

हार कर भी पीछे न हटता

 कोशिश करता रहता इसे पाने की आशा में

इस क्षेत्र में  कभी तो सफलता मिलेगी उसे  | 


आशा सक्सेना    

27 जनवरी, 2023

मौसम के उतार चढाव




                                 कितने ही मौसम बीत गए

सुहाने मौसम के इन्तजार में

कभी गरमी कभी सर्दी  

कभी वर्षा की मार है |

हाहाकार मचा सारे देश  में

चैन की सांस नहीं मिलती

 विषम परिस्थितियों में

सभी त्रस्त हुए है |

प्रकृति के दिखाए रौद्र रूप से

है विचलित मन कहां जाएं

 असंतुलन से जीवन भरा

किससे कहें क्या करें |

अब तो यहीं रहना है

कैसे भी नहीं बच पाएंगे

 इस तरह के मौसम से

सहना पडेगा क्या करें  |

बड़े समय के बाद

 कुछ सुधार हुआ  मौसम में

अचानक वायु वेग के कारण

 फिर सर्दी ने सितम ढाया |

लोग दुबके गर्म वस्त्रों में

                                                        कितने ही  ठुठर रहेसूखी i

                              लकड़ियों को एकत्र कर

                                                                  कोई अलाव जलाता   

                              उस की ऊश्मा का आनन्द उठाता

पर कार्यों में देर से पहुँच उपस्थि दर्शाता |

मकर संक्रांति आई  

 वसंत ऋतू का आगाज हुआ

धीरे धीरे संतुलित मौसम हुआ

मौसम खुश रंग हुआ |

आशा सक्सेना

26 जनवरी, 2023

गणतंत्र दिवस (२६-१-२०२३ )

 



                                                  है २६ जनवरी आज  हमारा राष्ट्रीय त्योहार

अद्भुद उत्साह दिख रहा है बच्चों में  व् बड़ों  में

स्कूलों में विभिन्न आयोजन किये जा रहे

कितनी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा  शालाओं में |

बच्चे और शिक्षक व्यस्त है मॉडल बनाने  में

कोई इसका आकलन करता कुछ नया बनाना चाहता

जिससे सब से अलग दिखे पुरूस्कार वही पाए

सभी प्रथम आना चाहते सब से आगे निकलना चाहते |

उनको यह तक पता नहीं इस दिन किसे पूजा जाता

नन्हां आता  पूंछता किस भगवान् को पूजा जाता आज

उसकी उत्सुकता तब समाप्त होती जब दूरदर्शन खोला जाता

समाचार सुने जाते आज के कार्यक्रम देखे जाते |

इतने प्रश्नों का अम्बार लगाए रखता जबाब देते नहीं बनता

सबसे कठिन प्रश्न यह होता  शाला कब जाऊंगा झंडा फहराऊंगा

उसे इस दिन का महत्व्  समझाया तभी प्रश्नों से छुटकारा पाया

 उसे समझाया यही है  ऐसा त्योहार जिसे सारा राष्ट्र मनाता |

 जश्न ऐसा होता वर्षों तक याद किया जाता हमाए  संविधान को

झंडा वंदन होता भाषण भी दिए जाते फिर मिठाई वितरण होता

कोई संकल्प किया जाता जिसे पूरा कर पाएं देश हित के लिए

पुरूस्कार दिए जाते राष्टपति के द्वारा किये गए विशिष्ट कार्यों के लिए |

आशा सक्सेना