05 अप्रैल, 2023

कहाँ जाएं किससे करे शिकायत

 


कहाँ  जाए किस से करें शिकायत

अपना कोई नहीं जिसको अपना कहना चाहा

वह गैरों से भी अलग  लगा

 दिखावा ही दिखावा देखा उसके व्यवहार में |

जिसने  अपना  अधिकार जताया

जानने का रिशता  किसी के साथ बताया

दाल में काला नजर आया |

फिर मन न हुआ उसे  अपनाने का

जब मां ने कहा यह है खून का रिश्ता

 तभी अपनाने का मन बनाया

फिर भी पहले जाना परखा तभी अपनाया  |

जब भी उसका व्यवहार देखा

मन में संतुष्टि का आभास

बड़ों के तजुर्वे का हुआ एहसास

मन में शान्ति का अनुभव हुआ |

आशा सक्सेना

 

 

04 अप्रैल, 2023

किसी के प्यार को कैसे समझे

 

किसी से क्या चाहिए जब

अपनों ने  ही साथ ना  दिया हो

कभी दो शब्द अपनेपन के

सुनने को कान तरसे |

हम तो घर से दूर रहे

किसी से ना की अपेक्षा कोई

अपने में सक्षम रहे

जीवन भरा कठिनाइयों से

सुख के पल देखे जरा से |

डेरा डाला दुःख ने

 बड़ी उलझने आईं

 एक बात समझ में आई

सुख के सब साथी होते

दुख में  कोई नही होता अपना |

अब घबराने से क्या लाभ होगा

जब अकेले ही जीवन भर रहना है

जब तक रहा साथ तुम्हारा

जीवन में विविध रंग रहे

कभी किसी अभाव का

हुआ ना एहसास |

जीवन है कितना

किसी ने बताया नहीं

कब सांस बंद हो जाएगी

 किसी को पता नहीं

सांस रुकने के पहले

शेष काम करना हैं

 कोई कार्य अधूरा ना रहे

 यही सोचना है |

उन्मुक्त जीवन जिया है अब तक

बंधन नहीं चाहिए कोई

 और यही है प्रार्थना प्रभू से |

आशा सक्सेना          

 


03 अप्रैल, 2023

भ्रमर

 





एक बगीचे में भ्रमर और तितलिया

साथ साथ रहते थे

 दौनों की थी मित्रता घनिष्ट

वहा के पुष्पों से |

पर भ्रमर  का मन चंचल

फूलों पर केवल अपना ही

अधिकार समझता

तभी जब नज़दीक उसके  पुष्पों खिलते

वह फूल  पर  बैठ प्यार जताता |

मन भरते ही

एक पुष्प  से दूसरे  पर उड़ जाता

संतुष्ट उसका मन होता

 यही उसका गुंजन दिखाता |

पर तितलियाँ कुछ

अलग सा  व्यवहार करतीं

पुष्प गंघ का आनंद लेतीं

फिर दूसरे पर उड़ जातीं |

तितली  रंगीन पुष्प भी रंगीन

बाग़ में जब उड़तीं

बच्चों को बहुत आकर्षित करतीं

बच्चे घर जाना ही नहीं चाहते |



आशा सक्सेना

30 मार्च, 2023

मन ने मुझे धोखा दिया




                                                         मेरे  मन ने भी मुझे धोखा दिया 

मेरे साथ ना चल पाया 

अलग उसने राह पकड़ी 

मुझे बताया तक नहीं |

है क्या  मन में

 जब मेरे कदम सही ना पड़े

मै उलझ  कर गिरी

 ऊबड़ खाबड़ मार्ग पर |

क्या वह  मुझे सचेत 

 नहीं कर  सकता था 

मैंने तो सोचा था 

अपने मन की करो |

 तभी सही राह चुन पाएगे 

मुझे बहुत  उत्साह से  

आगे बढ़ने में ख़ुशी मिली 

पर मन ने ना साथ दिया मेरा

 |मेंरी  कमज़ोरी का लाभ उठाया |

मन ने जब धोखा   दिया 

उसे भी संताप हुआ 

अपने मन से वादा किया |

भूले से भी उस राह पर जाना नहीं 

जिस पर धोखा पल रहा  हो  

|क्या मालूम जब  उसे यहीं रहना हो 

फिर उलझन को क्यों न्यौता  जाए |

आशा सक्सेना 



29 मार्च, 2023

मुझे तुमसे कुछ ना चाहिए

                                                                      मुझे  तुमसे कुछ ना चाहिए 

                                                                     तुम्हारे प्यार के सिवाय 

जीवन बहुत सीधा साधा 

जीवन की रंगीनिया नहीं |

सीधा साधा है यह तो |

मुझे सादगी से लगाव है 

सरलता ने  मन ने मोह लिया है 

सच्चाई,सरलता ,सादगी 

और आकर्षण का 

 तुमने अनुसरण किया है |

 यही गुण ने तुम्हें बनाया विशिष्ट 

                                                         और  सादगी जीवन में तुम्हारे 

मन मोह कर ले चली

मुझे हो गया प्यार तुमसे |

कितनी भी दूरी हो तुमसे 

मैं भूल नहीं सकता तुम को 

जान चुका  हूँ अब मैं

बिना मिले  तुमसे रह नहीं सकता |

आशा सक्सेना

सामान्य सी लड़की

 


मेरी सामान्य सी जिन्दगी

जब देखी पास  से

दिखी बिखरी हुई दूर से

मन पास जाने का ना हुआ |

पहुँचते गए फिर भी वहीं

किसी ने रोका नहीं

नही यह पूछा 

यहाँ किस लिये आए किससे मिलने  |

पर जबाब ना था पास मेरे

उसने मुंह नीचा किया ना दिया उत्तर 

देखी सामान्य सी लड़की पर मनोबल था ग़जब का 

बैठी चटाई पर कुछ काम कर रही थी |

उसने पूछा किससे  मिलना है

यहाँ आए कैसे क्यों  किस लिए

पहले झिझक हुई जवाब देने मैं

फिर कुछ सोचा और कहा तुमसे |

है मेरे पास क्या  हूँ सामान्य सी लड़की

मैंने बाहरी दुनिया तक न देखी

तुम्हें कहाँ ले जाती किस से मिलवाती 

यह छोटा सा घर है, यही दुनिया है मेरी |

दीन दुनियाँ से है मोह नहीं  

है मेरा जीवन जंजीर से बंधा

बन्धक नहीं  हूँ यहाँ पर , अपनी मन मर्ज़ी की करती हूँ 

मैं तुम्हारी नहीं हूँ, सामान्य जीवन जी रही  हूँ |

हाँ जीवन में बड़ी भूल की है मैंने

 किसी का कहना नहीं माना है  ,

अपना दिल तुम्हें दिया है यहीं रहने के लिए

  तुम्हारे इशारे पर चलने के लिए |

तुम  सोचों मैं कहाँ रहूँ,किसके पास रहूँ

तुम्हारे पास भी मेरे लिए कोई जगह नहीं

मेरा भी हक़ है  तुम्हारे साथ रहने के लिए 

सामान्य जिन्दगी जीने का हक़ है मुझे भी |

तुम किस लिए दखल देते हो ,मेरी जिन्दगी मैं

हूँ सामान्य सी लड़की अपने अधिकारों का ज्ञान है मुझे

मेरे  अधिकारों को छीन न पाओगे चाहे जितना पछताओगे 

चाहे कितनी भी कोशिश कर लो मेरा वजूद मिटा न पाओगे|आशा सक्सेना 

27 मार्च, 2023

हाइकू (हाइकू)

 

 

१-तोड़ा है दिल

मस्तिष्क पर जोर

यह क्या है

२-कभी सोचा है

कौन तुम्हारा हुआ

जान ना  पाए

३- हम अकेले

किससे कहें व्यथा

सोचते रहे

४-चंचल मन

विचलित हुआ है

स्थिर ना रहा 

५-फितरत है

स्थाईत्व नहीं रहा

कहाँ जाना है

६-कैसी जिन्दगी

तिमिर  चारों ओर 

कैसे हुआ  है  

आशा सक्सेना