18 जुलाई, 2023

एक मित्र की खोज

 

किसी से कही मन की बात

सोचा मन हल्का हो जाएगा

और हँसी का पात्र बनी

लोगों ने पीछे से मजाक बनाया उसका|

यही बात जब जानी मन को संताप हुआ

अब सोचा किसी से कोई बात नहीं करेगी

सब को अपना नहीं समझेगी

यदि सच्चा मित्र बनाना हो कितना सोचेगी |

जितनी बार मित्र बनाया

हर बार ही धोखा खाया

पहले जांचेगी परखेगी

 तब ही उस पर भरोसा करेगी |

यही एक बात सीखी है

 उसने इस अनुभव से

अब वह  भूल नहीं करेगी

जितना हो सके उसका

 पहले परीक्षण करेगी |

जब उसमें यह सफल होगी

 तभी आगे बढ़ने की सोचेगी

तब धोखा ना  देगा देने वाला

यही एक वादा उसने खुद से किया |

अब बेफिक्र हो गई

किसी छलावे से

स्वविवेक का उपयोग करेगी

अब पीछे नहीं हटेगी  |

आशा सक्सेना 

17 जुलाई, 2023

उसने सड़क पर दौड़ लगाई

 

उसने सड़क पर दौड़ लगाई 

जल्दी पहुँचने की चाह में  

किसी से शर्त लगाई थी और वह जीती भी 

 खुशी हुई उसके मन में |

उसे   किसी से ना  बांटा  

उसको मन में छिपाए रखा 

सब ने उसे  स्वार्थी कहा

अपने तक सीमित कहा

किसी की मदद ना ले  पाई

क्या यह गलत हुआ ?

सही गलत के चक्कार मैं

वह उलझी रही खुद में

सोचने की क्षमता कम होने लगी

उसमें हीन भावना आने लगी |

 वह सम्हाल ना पाई अपने को

खुशियों से दूर हुई अनमनी और उदास हुई

नदियों की गति  सी चंचल  हुई

बहती गई बढ़ती गई बिना सोच के |

अपनी समस्या क्या है वह बता ना सकी 

अश्रु जल बह चला उसका 

 नदी के जल से मिलते ही 

नदी की गति और तेज हुई |

वह  चली बिना किसी की  रोक टोक के 

ज़रा सांत्वना मिलते ही आगे बड़ी सहस से

उसने किसी से मदद की आशा ना की 

सब को पीछे छोड़ दिया 

तभी वह  सफल हो पाई | 

आशा सक्सेना 


16 जुलाई, 2023

जीवन के आखिरी पड़ाव पर

वह कब तक तेरी राह देखे  

तुम कब आओगे 

आकर उसे  ले जाओगे

 उसने कहा था  |

वह अब बिस्तर पर पडे रह कर 

 उकता गई है  

जीवन में कोई रस नहीं अब 

सारे ऋणों से मुक्त हो गई 

 अब चिंता मुक्त है |

प्रभू की कृपा चाहिये 

उसकी भक्ति में  खो जाना  है 

तभी चाहत है दिन रात 

आराधना उसकी  करने की 

बड़ी इच्छा है उसकी |

पहले घर वर में व्यस्त रही

 दूर की कभी ना सोची 

अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है 

कुछ तो समय बाक़ी होगा 

क्यूँ ना सदुपयोग करे उसका 

यही अब शेष रहा है 

उसे  जीवन से मुक्ति मिले

 यही सोच है उसका |

आशा सक्सेना 

15 जुलाई, 2023

चन्द्र यान की पहुँच

 

देखी देश की प्रगति हर क्षेत्र में

शीश उन्नत हुआ जब देखी,

 देश की प्रगति हर क्षेत्र में

सर गर्व से ऊंचा हुआ 

जब देखा जाता हुआ स्पेस क्राफ्ट 

 चाँद की धरा पर की विविधता की खोज में |

पहले असफल रहे पर कोशिश करते रहे

कभी सफलता की कोशिश से

मुंह ना मोड़ा हमारे वैज्ञानिकों ने

पर  असफल हुए विक्रम की असफल कोशिश में

सॉफ्ट लेंडिग ना कर पाए थे  चन्द्र पर |

 जब वह  छोड़ा गया पर सफलता हाथ नहीं आई

आँखें नम हुई थीं सभी वैज्ञानिकों की

प्रधान मंत्री ने साहस की प्रशंसा की थी

गले से लगाया था उनको |

 अब सारे वैज्ञानिक पूर्ण रूप से

आशान्वित हैं इस की सफलता के लिए

यही सफलता भारत की कोशिश सफल  बनाएगी

प्रगति के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगी |

यह अभियान होगा सफल

प्रथम पांच देशों में से एक

 इस क्षेत्र में गर्व से जब देखा

जाता हुआ  स्पेस क्राफ्ट देखा

 चाँद की धरा पर की विविधता की खोज में |

पहले असफल रहे पर कोशिश करते रहे

कभी सफलता की कोशिश से

मुंह ना मोड़ा हमारे वैज्ञानिकों ने

पर असफल हुए पर निराश नहीं 

विक्रम की असफल कोशिश रही 

सॉफ्ट लेंडिग ना कर पाए थे  चन्द्र पर |

 जब वह  छोड़ा गया 

 सफलता हाथ नहीं आई

आँखें नम हुई थीं सभी वैज्ञानिकों की

प्रधान मंत्री ने साहस की प्रशंसा की थी

गले से लगाया था उनको |

 अब सारे वैज्ञानिक पूर्ण रूप से

आशान्वित हैं इस की सफलता के लिए

यही सफलता भारत की कोशिश सफल  बनाएगी

प्रगति के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगी |

यह अभियान होगा सफल

प्रथम पांच देशों में से एक इस क्षेत्र में |


14 जुलाई, 2023

किसी एक बन्दूक में

 किसी एक बन्दूक में 

कुछ ही गोली होती है 

जिनके उपयोग से

जन जीवन अस्तव्यस्त हो जाता है|

अमन चैन सब छीन जाता है 

ज़रा से सुख की चाह में 

 मानव का विनाश होता है 

यही बात मन को क्लेश पहुंचाती है |

अमन चैन की बातें केवल

 भाषणों में होती हैं

 वास्तविकता का रूप अलग है 

जो होता है वह  दिखाई नहीं देता |

जिसकी कल्पना ना  होती वही

 बड़ा भयावय रूप लेता 

मानव जाति की शांति हर लेता 

वह बड़ा जानमाल का  नुक्सान देखता |

मन वित्रिश्ना से भर जाता 

पर कदम  पीछे नहीं हटाता 

इसी ह्टधर्मिता से  

मानव जाति का विनाश होता |

कहीं तो बात होती है वासुदेव कुटुम्बकम की 

पर दो लोग भी मिल कर रह नहीं पाते 

छोटी छोटी बातों पर 

लड़ने मरने को तैयार रहते 

जाने कब शान्ति आएगी

 भव सागर में |\|

आशा सक्सेना 

13 जुलाई, 2023

तुम कब आओगे

 

कब गाए गीत मिलन के

यह भी भूली किसके साथ

याद किया वह  फिर भी ना  आई

झुले पर झूल रही

केवल सखियाँ याद रहीं |

फिर भी जब ध्यान जाता

 निगाहें खोज रहीं तुमको

तुमने तो वादा किया था

 सावन जाते ही मुझे लेने आओगे

पर तुम नहीं आए |

 कभी सोचा नहीं  था

इतनी जल्दी सावन जाने का समय आने को है

राह देख रही हूँ

कितनी जल्दी सावन बीता है  

मेरी सहेलियां जाने लगी हैं |

मुझे है इन्तजार तुम्हारा आने का

यादों को सहेज कर रखा है तुम्हारे लिए

तुम जल्दी आजाओ

अब इन्तजार नहीं होता क्या किया जाए |

12 जुलाई, 2023

किसने बदले तेवर उपजाऊ धरा के

 जब बरसा पानी धरा पर  कीचड़ हुआ 

मट्टी उलट पलट हुई

 कहीं अति का जल भरा 

कहीं सूखा पडा |

उस पर मौसम का प्रभाव पडा 

जहां बीज बोए गए थे 

वे प्रस्फुटित  ना हुए \|

जहां खेत खाली पड़े थे 

कुछ बोने का मन ना  हुआ

कोई निश्चितता नहीं थी 

वर्षा के आगमन की |

यहू सब सोच किसान हुआ उदास 

यहाँ  वहां भटक रहा था क्या करे 

किसकी सलाह से

 नुकसान नहीं होगा |

फसल के पकने पर |

मन को दिलासा दे रहा था 

अपनी फसल को 

भगवान् भरोसे छोड़ |

यदि भाग्य ने साथ दिया 

फसल अच्छी ही होगी

 यही सोच संतुष्ट हुआ

उसने भरोसा किया भाग्य पर |

प्रभू की दया पर 

और आत्मविश्वास पर 

प्रभु ने एक दृष्टि की उस पर 

यही एक सहारा था उसका |

आशा सक्सेना 

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