जन मानस से क्या अपेक्षा
जब खुद ने किसी की अपेक्षा पूर्ण ना की
लटकाए रखा दूसरों को अधर में |
कोई किसी की मदद करे
यह कैसे सोच लिया तुमने ,
जब खुद ने किसी की मदद ना की
समय पर किसी के काम ना आए
वह कैसे कह सकता है
तब तो सोचा होता
किसी और को भी आवश्यकता
हो सकती होगी तुम्हारीजैसी
लटकाए रखा तुमने उन्हें
हाँ , ना के झुले में झूलते रहे
कोई निर्णय ना ले पाए
तुम्हारी मदद यदि पक्की होती
वे किसी और की राह नहीं देखते ,
तुमने तो उलझा दिया उनको|
आशा सक्सेना