29 अगस्त, 2023

प्यार स्वतः ही उपजता


                                                        किसी के प्यार की तुमने 

कोई कीमत नहीं समझी 

यह होता अनमोल 

किसी से तुलना नहीं उसकी |

जब से सोचा प्यार किसे कहेंं 

जो स्वतः ही मन में जन्म ले 

जिससे दिल में दर्द हो 

उसे ही कहा जाता प्यार |

|किसी से माँँगे नहीं मिलता 

यह अपने अंतर में 

स्वतः ही जन्म लेता 

सब को सही राह दिखलाता |

उसकी कद्र ही समझता 

जो भी मिले सम्मान से स्वीकारता  

फिर दिल से  धन्यवाद देता 

उसका आनंद ही कुछ और होता |

आशा सक्सेना 





















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मेरे मन की

 

मेरे मन की

अब तैयारी है किताब ‘साँँझ की बेला' अठारहवेंं कविता संग्रह' के प्रकाशन की | जल्दी ही वह आपके सम्मुख होगा | आप ही निर्धारित करेंगे पुस्तक कैसी लगी | मेरे निर्णायक आप मेरे पाठक ही हैं | मुझे क्या लिखना है क्या नहीं आप पर निर्भर है |

लेखिका

आशा सक्सेना 

28 अगस्त, 2023

किसी की दखलंदाजी

 


किसी का दखल नहीं पसंद उसे

वह  स्वतंत्र रूप से रहने वाली

जिसने भी दिया दखल बीच में

है वह पलटवार करने वाली |

कभी नहीं सोचा उसने भविष्य के बारे में

जिसने भी सलाह दी उसे

मूर्ख ही समझा उसको उसने

मन संताप से भरा उसका |

वह दखलंदाजी सह ना पाई

उसने उससे किनारा किया

मन से दूर रखा उसको

कभी फिर पास आने ना दिया |

कोई कुछ कहे सुने या 

बीते कल को दोहराए 

यह आजादी ना दी उसने कभी  

तभी समाज में स्थान बना पाई

अपनी स्वतंत्रता को तर्क कुतर्क से रखा दूर |

मन का संतुलन बनाए रखा

किसी को नहीं दिखाया अपनी परेशानी को

कोई अंदाज़ भी ना कर पाया

उसकी समस्या क्या है |

उसने एक ही सिद्धांत अपनाया

अपनी समस्या का उसे ही हल निकालना है 

कोई अन्य की सहायता नहीं स्वीकार उसे

कोई सहायता तो करता नहीं

पर व्यवधान डालने में अधिक आनंद लेता |



आशा सक्सेना  

 

 

   

27 अगस्त, 2023

नवल रूप तेरा

 नवल रूप है प्यारा प्यारा 

जब देखो अनोखा दिखता 

आकर्षण है ग़ज़ब का 

मन भूल नहीं पाता |

ये  आदतें ये अदाएं 

किससे सीखीं तुमने 

या प्राकृतिक रूप पाया 

ईश्वर से मिली तुम्हें |

नवल अदाएं पाईंं तुमने 

बहुत सिंगार ना किया 

मुँँह पर लाली, माथे पर बिंदी, 

नयनों में कजरा लगाया तुमने |

यह सुन्दर रूप सँँवारा कितने जतन से

 सजाई है माँँग किस के लिए 

यही सफलता पाई है 

नवल रूप की लम्बी आयु के लिए  |

जो देखता उसके मन में बस जाती 

इन  आकर्षक नयनों की  यादें 

जिनके पास नहीं होती 

यह अमूल्य निधि  प्रभुु की देन  

वे ईर्ष्या भी करते बात बात पर |

पर नवल रूप पा नही सकते 

मन में संताप पालते |


आशा सक्सेना 






26 अगस्त, 2023

हाइकुु

 

१-कुछ कहना

सुनना नहीं अब

 यादें ही बाक़ी


२--तुम्हारे बिना

मन भटकता है

याद सताती


३ -कैसे भूलती

जिसे ना भूली कभी

पल भर को


४ -तन्मय रही

खोई रही यादों में 

व्यस्त ही रही  



25 अगस्त, 2023

कविता का रूप निराला


 कविता का रूप निराला 
किसी से मेल नहीं खाता 

जब भी बदलाव करना चाहो  

अनुभवोंं से व्यवधान आता |

मन ने जो सोचा वह रूप  नहीं दिखा 

रूप बदल सा गया चाँद सा ना रहा |

ना ही कोई और रूप विशेष रहा 

दूर से जो दिखता चाँद पर  

अब  तुलना के योग्य नहीं वैसा 

यह तो कभी सोचा ना था 

ना ही पनपी कोई संस्कृति धरती की तरह |

उबड़ खाबड़ सतह उसकी  जिस पर कोई सड़क नहीं 

जल नहीं अनाज नहीं सतह समतल उसकी नहीं  

बस  खुशी है आदमी के मन में 

उसी के विचारों को लिपिबद्ध किया कविता में |

मन के समुन्दर में गोता लगाकर 

अपने  भावों को दर्शाया  कविता में |

 भारत ने परचम फहराया चन्द्रमा की सतह पे |

आज है खुशी सर्वत्र सारे विश्व में 

भारत हुआ सफल अपने अभियान में 

भारत हुआ  अग्रणी  चार देशों  में से एक 

सारे अन्तरिक्ष विज्ञान जगत में |

यही भाव दिखाई दिए आज की कविता में 

इसी से फिर सोचा हमने

 कविता का रूप निराला बदला 

अपार प्रसन्नता  के लिए  |



आशा सक्सेना 


























24 अगस्त, 2023

अधूरा स्वप्न ना रहा

                                           अधूरा  स्वप्न  नहीं रहा, वह  पूरा हुआ 

मन की बेचैनी बढ़ती गई 

जब उड़ान चन्द्र यान -३ ने भरी

चाँद की धरती पर पहला कदम रखा |

आगे क्या हो, यह चित्रों में देखा 

बार-बार खुशी देखी, 

सब के चेहरों पर अनोखी देख चमक, 

खुशी हज़ारों वैज्ञानिकों के मुखमंडल पर 

जिसने भी यह सब देखा 

बधाई का क्रम जारी रहा |

आगे बढ़ने के लिए सारी कोशिश हुई सुुकारथ 

अब चन्द्र यान से रोवर चाँद  की सतह पर उतारा 

यही आशा आगे  और नई खोजों से होने लगी 

एक सफलता देख आगे के स्वप्न सजने लगे   |

अधूरा स्वप्न ना रहा 

पूरा होने का सही वक्त देख 

अन्तरिक्ष विज्ञान मिशन 

मेेहनत से पूरे किये जाएंगे |

आगे और मिशन पूरे होंगे जिन पर कार्य किया जाएगा 

वैज्ञानिकोंं की मेहनत रंग लाएगी

जय भारत जय इसरो की खुशी से सारा देश डूबा 

 देशवासियों की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा |


आशा सक्सेना