17 अक्तूबर, 2023

आत्म विश्वास

 एक वह  दिन था जब 

हमें  जानता न था कोई 

किसी कार्य को करने के लिए 

बाहर वालों का मुंह देखना पड़ता था |

बहुत कठिनाई हुई इस समाज में 

खुद को स्थापित करने में 

पर जब सफलता पाई 

खुशियों से मन भरा |

अब सोच लिया ना डरने से 

हिम्मत से सभी कार्य करने में 

कभी पीछे ना हटेंगे 

यही हिम्मत अब उत्पन्न हुई 

दिल को विश्वास आया 

कदम पीछे ना हटेंगे कभी |

आशा सक्सेना 

16 अक्तूबर, 2023

खुशियाँ ही खुशियाँ

                        

                      

 खुशियाँ ही खुशियाँ प्रति दिन 

  फैली यहाँ वहां चारों ओर 

    यह मैंनेभी  अनुभव किया  

  दुःख होता है क्या मुझे मालूम नहीं | 

                  सुख क्या है और दुःख क्या

                 मैने  जानने की कभी कोशिश ना की 

                   सुख को मैंने अपनाया 

                 दुःख की परवाह ना की |

सभी ने सराहा किसीने बुरा ना कहा 

सभी ने  प्रशंसा की मेरी 

,ईश्वर ने मुझे बक्षी  नियामत

 खुशियूं के रूप में जिसे मैंने भाग्य समझा |

सोचा  मुझसा कोई ना भाग्य शाली हुआ

 आज तक इस भवसागर में 

जब दुःख पर नजर डाली

 कष्टों की सीमा दिखाई ना दी |

एक बार मन में आया 

प्रभु ने क्यों बचाया मुझे 

मेरे सत्कर्मों से होकर प्रसन्न

या यश मैंने कमाया अपने गुणों से |

आशा सक्सेना 



15 अक्तूबर, 2023

रूप तुम्हारा

 सुर्ख अधर तुम्हारे

 दन्त पंक्ति दाड़िम के बीज  जैसी

चंचल चितवन करती आकृष्ट सभी को 

मुस्कान तुम्हारी चहरे की |

यह भोलापन यह मासूमियत 

इतनी सहज नहीं मिल पाती 

होते बहुत भाग्यशाली  

जो नवाजे जाते  इस अद्भुद प्रसाद से |

जो देखता सोचता यह रूप कहाँ से पाया 

तुम्हारे सत्कर्मों से या प्रभु की कृपा से 

सच में तुम ने बहुत भाग्य से पाया है यह सब 

अद्भुद हो तुम और तुम्हारा रूप    |          

                                                        आशा सक्सेना                                                                                                             

14 अक्तूबर, 2023

सुबह से शाम तक

 

सुबह से शाम तक जीवन

 जीवंत करने का अरमां

मन में रहा

किसी से सलाह ना ली |

जैसे ही  समय बीता उम्र बढ़ने लगी

उम्र की कठिनाइयां ले साथ 

कोई दया नहीं हो  पाली किसी की

शायद मुझे यह भी मंजूर ना था|

तभी उलझने बढ़ती गईबढ़ती उम्र  के साथ

आकांक्षाएं कम ना हुई,बढ़ती गईं

 दौनों की दूरियां स्थिर होती  जा रही

घटने का नाम ना लेती  

जीवन कठिन पहेली सा  हो जाता

जिससे जीने में कठिनाई होती

13 अक्तूबर, 2023

तुम जानो या ना समझो

 

यूँ तो आज  किसी का कोई नहीं है

 तुम समझो या ना समझो

किसी को अपने व्यवहार से

अपनाया भी जा सकता है |

तुम जानों या ना जानो

अपने झुकने से विनम्ब्र होने से

किसी को ख़ुशी मिले यदि

इससे  बड़ी बात क्या होगी |

हमने तो एक ही बात

 सीखी है अपने बड़ों से

गैरों को अपनाने से   

 गले लगाने से

बड़ी संतुष्टि मिलती है |

अपना होने की कला सब  नहीं जानते

 जो ख़ुशी मिलती है यदि बांटी जाए

और  किसी को संतुष्टि मिले

 तब विनम्रता से हानि नहीं होती |

दो बोल मीठे यदि बोले जाएं

 मन में ख़ुशी छा जाती है

वही अपना हो जाता है

 अपने करीब आ जाता है|

बस हमें और क्या चाहिए

 अपने सब नजदीक चाहिए

वही है अपना जो हमारा

 सुख दुःख समझे |

हमारा  होने का एहसास कराए

दिल से हमारा हो जाए

सच्चा मित्र रहे कभी ना  बदले  

कठिन समय होने पर  काम आए |

आशा  सक्सेबा 

11 अक्तूबर, 2023

रूप सुन्दरी

 काले कजरारे आकर्षक नैनों वाली 

बोलती निगाहें तेरी चिलमन से झाँक कर 

इसी  एक अदा पर रीझे हम 

किसी से बचा कर नयनों से बातें करते हम |

कोई भांप ना सका  इन  बातों को 

हम दौनों के सिवाय 

तुमने बड़ी अकाल लगाई  इस वार्तालाप में 

हलके से झाँक कर देखा इशारों से समझाया 

मिलने का ठिकाना बताया 

हुई सफल अपनी योजना में 

किसी का ध्यान ना गया

 काले कुंतल अपने को रोक ना  सके झांके बिना 

हुई सफल हम दौनों की योजना 

|तुम्हारा रूप मेरा आकर्षण जग जाहिर ना हो पाया |


आशा सक्सेना 

10 अक्तूबर, 2023

फिर से शाम उतर आई

 

फिर से शाम उतरी छत पर

फैली विदा होती  सुनहरी धूप

पर ऊपर जाने का मन ना  हुआ

ना जाने क्यों मन में कोई खुशी नहीं

 उदासी छाई है जीवन की उतरती श्याम में |

लगता है सभी कार्य पूर्ण हुए हैं

फिर धरती पर व्यर्थ बोझ क्यूँ रहे

किसी और को भी अवसर मिले मेरे सिवाय

उससे भी अपने कर्ज पूरे करवालूँ

कहीं समय फिर  मिले ना मिले

 सर पर बोझ रख कहाँ जाऊंगी

चार दिन की खुशी बार बार नहीं आती

ऐसा जीने के लिए कुछ समय 

खुशियाँ के लिए भी निकालना पड़ता है

यदि मिल जाए चार चाँद लग जाते हैं सारे जीवन में |


आशा सक्सेना