23 अक्तूबर, 2023

आज भुवन भास्कर

 

आज भुवन भास्कर

सुबह  से है उत्साहित   

सजाया सप्त अश्वों से रथ,

 आसीन हो  उस पर चले

दसों दिशाओं में  भ्रमण किया

वही दिखा पूरा नजारा प्रकृति का

हरे भरे वृक्षों के सारे पत्ते

 नहाए लहराए रश्मियों से

उनकी खुशी झलकी

उन पर पड़े हरे सुनहरे रंग से |

आसमान में उड़ते परिंदे

गीत गा दर्शाते अपनी खुशी

दादुर मोर पपीहा बोले

 अपनी खुशी दर्शाई

उनकी खुशी में शामिल हुए

प्रकृति जीवंत हो गई

 उन सब के चहकने से |

आशा सक्सेना 





बाँसुरी कान्हां की

 

काली कमली पहन पीली कछोटीकमर में बांधी 

हाथ में बांस की बाँसुरिया जब बजाते कान्हां

गाँव की ग्वालिन दौड़ी चली आतीं

हाथों का काम छोड़

राधा रानी राह देखतीं जमुना के तट पर 

कुंजन में कान्हां के इन्तजार में

सब ने एक साथ नृत्य किया

पूरे दिल से रमें उसमें

फिर से जब न्रत्य बंद होता

सब लौटते अपने घरों को  |

 पर राधा को बहुत ईर्ष्या हुई

कान्हां की बासुरी से

उसे अपनी सौतन ठहराया

अपनी नाराजगी दर्शाई 

मीठी मुस्कान लिये कान्हा ने 

राधा की बांह पकड कहा बहुत प्यार से 

 तुम ही तो मेरी शक्ति हो 

यह बॉसुरी सात  सुरों की प्रतिछाया

मै तुम बिन हूँ अधूरा 

तभी तो तुम्हारा नाम  

मेरे नाम के पहले लिया जाता |

आशा सक्सेना    

 

 

22 अक्तूबर, 2023

मन की राह कहाँ मिले

 मन की राह है  अनूठी 

नीलाम्बर से आगे जाए 

हर व्यक्ति खोज ना पाए 

जो बाटखोजता इधर उधर 

हार कर रह जाएँ पहुच ना पाए 

मन को कैसे समझाए |

जब भी हलकी सी आहट  हो 

वायु की सरसराहट हो 

मन खिचता जाए उस ओर 

जब नजरों के समीप आए 

नीलाम्बार की ओर से ही 

वह उस  राह तक पहुंचे   |

खुशियों की सीमा न रहे  

अन्तरिक्ष में पंख पसारे

पंखियों से आगे रहे 

अपनी मंशा पूरी करे |

कोई नहीं जानता

 मन के सिवा

 राह कहाँमिल  पाएगी 

 अपना वजूद सब को दिखाएगी |

आशा सक्सेना 

21 अक्तूबर, 2023

बहती नदिया के साथ बहा

 


                                  बहती नदिया क साथ

बहती नदिया के साथ बहा

एक  छोटा सा तिनका घास का

कभी डूबता कभी उतराता

जीवन का आनंद भरपूर  लिया

वह  भूला नहीं नदी के किनारों को

जाने कहाँ कब भवसागर का छोर मिलेगा

वह हार नही मानेगा अंत तक

किनारा खोज कर ही दम लेगा |

आशा सक्सेना 


तुमने तोड़ा दिल किसी का

 

तुमने तोड़ा दिल किसी का 

प्यार का सौदा किया है है 

यह भी ना सोचा कि 

उसके दिल को ठेस लगेगी |

कितने वादे  किये उससे 

पर पूरा ना किया उनको 

यही बताती तुम्हारी असलियाए 

मन को ठेस लगी उसके |

क्या तुमने न्याय किया 

उसके व्यवहार से साथ 

यह तुम्हारा कैसा सोच 

क्या यह अन्याय नहीं | 

उसके मन को ठेस लगी 

दिल को टुकड़े टुकडेकिया 

मन को कोई दिलासा

 कहीं से ना मिल पाई 

यह दिन कितनी कठिनाई से बीता |

पर तुमपर किसी बात का 

प्रभाव  ना हुआ 

क्या यही कियागया 

 कर्तव्य था तुम्हारा |

आशा सक्सेना 


हाइकु

 

तोड़ा  है दिल

मस्तिष्क पर जोर

यह क्या है

 

कभी सोचा है

कौन तुम्हारा हुआ

जान न पाए

 

हम एकेले

किससे  कहें व्यथा

सोचते रहे

 

चंचल मन

विचलित हुआ है

स्थिर न रहा

 

फितरत है

स्थाईत्व नहीं रहा

 कहाँ जाता है

 

कैसी जिन्दगी

 चारो और अन्धेरा

फैला हुआ |


आशा सक्सेना

20 अक्तूबर, 2023

वीणा का तार

 

 जब वीणा का तार 

बजा मधुर स्वर र्में 

किसी को बाध्य ना होना पड़ा

यही सब सीखने के लिए |

मन में रहा उत्साह

 नया सीखने के लिए

जब कोशिश की देर ना लगी

कुछ भी सीखने में |

यह एकाग्रता है ईश्वर प्रदत्त

है विशेष गुण जन्म से

सभी खुश होते कुछ नया देखकर

तारीफ विशेष होती यह जान कर |

बेटी बहुत गुणी  है

यही सब सुनने में आता

 मां का दिल कभी ना हारता|

आशा सक्सेना