१-आज दिवाली
दीप जलाए गए
लक्ष्मीं के लिए
२-हलकी ठण्ड
लक्ष्मीं स्वागत किया
दीप जलाए
३-दीप जलाए
घर को स्वच्छ किया
द्वार सजाया
४-तुम ना आए
कितनी देखी राह
बीती दिवाली
५- देखी राह
हार गई अँखियाँ
राह देखते
आशा सक्सेना
१-आज दिवाली
दीप जलाए गए
लक्ष्मीं के लिए
२-हलकी ठण्ड
लक्ष्मीं स्वागत किया
दीप जलाए
३-दीप जलाए
घर को स्वच्छ किया
द्वार सजाया
४-तुम ना आए
कितनी देखी राह
बीती दिवाली
५- देखी राह
हार गई अँखियाँ
राह देखते
आशा सक्सेना
राग द्वेष माया मोह
जब हों दूर जीवन से
सफल जीवन की आशा की
जाए
यदि एक का संतुलन बिगड़े
दूसरा भी बहे उसी
के साथ |
आशा निराशा के झूले में
जीवन झूले बहुत डर के
आत्म बिश्वास कम तर हो जाए
यदि किसी की वर्जना मिले |
हम प्यार को तरसे जीवन में
जब किसी का संबल ना मिले
घोर निराशा से घिरे
बच ना पाए इससे |
यही कमीं रही खुद में
बच ना पाए इन
कुटेवों से
सफल ना हुए जीवन में
खुशहाली पा ना सके |
जिसने भी मन्त्र दिए खुशी पाने के लिए
कोई भी सफल ना हो पाए
पीछे हट कर मांफी
मांगी
हम जिए अपने हाल पर |
कवि ने गाए गीत प्रेम के
जब तक शांति रही जीवन में
पर हुआ विचलित मन उसका
जब महांमारी ने पैर पसारे |
जब मुसीबत आई देश पर
आगे की पंक्ती में खडा रहा
अपनी रचनाओं से देश के वीर
सपूतों का साहस बढाया |
एक ऐसा कार्य किया जिसने
मनोवल बढाया इतना कि वे जुटे
पूरी लगन से देश की रक्षा के लिए
यह रहा महत्व पूर्ण इतना
देशवासियों ने दिलसे सराहा
जो भी लिखा देश हित के लिए
उनको सराहा गया पूरे मन से |
यही विशेषता रही वीर रस की रचनाओं में
जब शांति का माहोल बना
बड़ा परिवर्तन दिखने लगा रचनाओं से
कवि की मनोस्थिती की झलक दिखी
खुशहाली देश की नजर आई |
आशा सक्सेना
दीपोत्सव –
आज शाम आँगन में
की लिपाई और पुताई
लक्ष्मी स्वर की देवी
का आगमन होने को है |
द्वार पर दीपक लगाए
किया इंतज़ार देवी के आगमन का
बहुत राह देखी उसकी
घर चमकाया अपना आगत के आने का |
देवी हुई प्रसन्न अपने स्वागत से
दिया आशीष दिल खोल कर
पूजा अर्चना के संपन्न होते ही
प्रसाद वितरण किया मन से |
यह त्यौहार आता वर्ष में एक बार
इसी खुशी में घर स्वच्छ किया जाता
देवी के स्वागत में दिए जलाए जाते
फटाके ,फूल झड़ी जला बच्चे बहुत खुश होते |
मिलने जुलने वाले आते स्नेह बांटने
सभी व्यक्ति पैर पूजते बुजुर्गों के
बदले में आशीष पाते दिल से
जिसे भूल ना पाते फिर से आने वाले दीपोत्सव तक |
आशा सक्सेना
दीपावाली
आज ख़ुशियों के दीप जलाएं
त्यौहार मेलजोल का मनाएं
छोटे बड़े आपस में सदभाव
रखें
प्यार प्रेम का गीत गाएं |
जब प्रसन्नता होगी घर में
लक्ष्मी जी का आना होगा
किसी बात की कमीं न होगी
बच्चों में खुश हाली होगी |
द्वार सजाएं दीपों से
लक्ष्मी का स्वागत करें
नैवैध्य चढ़ाएं
खुशिया आएं पूरे घर में
गुजियों से बच्चे बहुत
प्रसन्न होते |
खुद खाते अपने मित्रों को खिलाते
आतिशबाजी का आनंद उठाते
साफ सुथरे घर में रहने का
जो आनंद आता
शब्दों में वर्णन नहीं किया
जा सकता |
मां ने दो सप्ताह लगाए सफाई
अभियान में
घर चमकाया पूरी महनत से
जिसने देखा प्रशंसा की दिल
खोल कर
लक्ष्मीकी कृपा हुई घर के सभी सदस्यों पर |
आशा सक्सेना
तुमसे ना की शिकायत
ना ही दुःख मनाया
मन को दी सांत्वना केवल
जिससे तुम्हारा मन ना दुखे |
मुझे सब का ख्याल रहता है
यह भी तुमने ना जाना
मुझे तुमसे है यही शिकायत
तुमने मुझे समझा नहीं |
यदि तुमने मुझे समझा होता
हर पल मुझे नहीं सालता
त्योहारों पर उदासी ना होती
दिल की खुशी चौगुनी होती |
खैर मेरे भाग्य से ज्यादा
कुछ ना चाहिए नाही मिल पाया
इसका क्या दुःख मनाऊँ
जीवन ऐसा ही चलेगा |
आशा सक्सेना
शब्दों की रीढ़
है अधूरा दीपक का जीवन
अपने सहायकों के सिवाय
बिना तेल और बाती के
जीने का अधिकार नहीं |
जब तक समीर ना हो तब भी
उसका भी है अधिकार
तेल और बाती के अलावा
दीपक के जलने में |
है आवश्यक चुने गए
शब्दों की रीढ़ अभिव्यक्ति
के लिए
इनके बिना खड़े होना
संभव नहीं होता अभिव्यक्ति
के लिए |
यदि शब्दों की रीढ़ में कोई
कमी हो
जीना कठिन हो जाता
हारा थका जीवन
खिचता जाता अभिव्यकि का |
आशा सक्सेना