26 नवंबर, 2023

सागर का नजारा

 

सागर तट पर विचरण करता

यहाँ वहां घूमता फिरता

कभी जल में पैर  डालता

लहरों से टकराता आनंद लेता |

मन में भय न होता जब भी

ठन्डे पानी को  छूकर

मन में उत्साह जाग्रत होता

लहरों के साथ बहना चाहता |

 लोगों को जल क्रीडा करते देखता

उसका मन भी होता जल में जाने का

जब प्यास लगती पानी अंजुली में ले  कर

पीने के लिए मुंह खोलता |

 स्वाद में इतना खारा  होगा जल

कल्पना से दूर होता

प्यासा ही रह जाता एक भी घूँट जल

 कंठ के नीचे न उतर पाता |

वह  सोचता इतने बड़े जल स्त्रोत का क्या लाभ

जब प्यास ही ना बुझ पाए प्यासा ही  रहना पड़े  

 फिर उसकी अच्छाई का आकलन करता

कई संपदा छिपी हुई हैं उस जल  में |

वह धरती के लिए

 जल संचित करता बादल के रूप में

जब बादल बरसता झमाझम

धरती होती तर बतर जल में भीग कर |

आशा सक्सेना 

25 नवंबर, 2023

उड़ते बादल


नीलाम्बर में उड़ते बादल

पक्षियों को साथ ले कर

कहीं ठहरने का स्थान नहीं वहां  

फिर भी उत्साह कम नहीं है |

आगे बढ़ने की चाह मैं

हुए व्यस्त मार्ग खोजने में

बादलों का अनुसरण करते में

 हुए सफल गंतव्य तक पहुँचने में |

खुशियों की सीमा नहीं रही

वहां पहुँच कर पेड़ पर डेरा डालने में

इस लिए ही तो रेस लगाई बादलों संग

खुशियाँ बाहों में आईं उनके

मधुर धुन गुनगुनाई तन्मय हो कर |

समा रंगीन हुआ वहां का

कुछ अनुभवों को जान लिया

दूसरों को भी सलाह दी अपनी

बड़ा आनद आया नए स्थान पर ठहर कर |

आशा सक्सेना 

24 नवंबर, 2023

हलके हलके ठुमके लगाओ

 

हलके हलके ठुमके लगाओ

लहराओ झूम जाओ

जीवन में खुशियाँ भर दो

फिर से मुस्कुराओ |

अखवार में जब तस्वीर छपेगी

लोगों में प्रशस्ति बढ़ेगी

तुमको जाना जाएगा

कवि  लेखक के रूप में |

हमें बहुत खुशी होगी

जब लोग तुम्हें जानेगे

तुम्हारा लेखन पहचानेगे

हमें गर्व होगा तुम्हारे पुरस्कार पाने पर |

आशा सक्सेना 

सखी आई है


मेरी सखी आई है

अनुभवों की दुकान साथ  लाई है

यह तक नहीं सोचा उसने |

उसके अनुभव और हम

में कोई तालमेल है या नहीं

मन में इच्छा हो या नहीं

पर उसको तो सुनना ही है |

जो कुछ सुना  उस का

 पालन भी करना है

यदि ऐसा नहीं किया

वह  नाराज हो जाएगी |

फिर उसे मनाना होगा मुश्किल

बहुत नखरों के बाद

वह मन पाएगी

फिर से खुशी आ पाएगी |

आशा सक्सेना 

23 नवंबर, 2023

सागर की लहरें

सागर की लहरें कोई छोटी  कोई बड़ी 

झूम झूम कर आतीं किनारों से टकरातीं 

कोई टूट कर बिखर जाती कोई लौट जाती 

अपने आसपास की  वस्तुएं साथ वहा कर ले जातीं|

कभी विकराल रूप धारण करती 

कई लहरें आपस में मिलकर आगे बढ़तीं 

यह रूप उनका ह्रदय विदीर्ण  करता 

पीछे से पलट कर देखा नहीं जा सकता |

जान माल का नुक्सान होता कितना

 यह भी सोचा नहीं  जा सकता 

किनारे पर रहने वाले अश्रु पूरित नैनों से

 अपने उजड़ते घरों को देखते रहते असहाय से  |

इन भयावह लहरों के नामकरण होते 

किसी को सुनामी कहा जाता 

कोई बार बार आती नया नाम लिए 

 दिल दहलाती किनारे रहने वालों के  |

आशा सक्सेना 










22 नवंबर, 2023

गीत गाओ

“गीत गाओ “

दिल ने कहा गीत गाओ

 मुझे प्यार करो मन को बहलाओ|

मेरे सपनों में खो जाओ

मैं कुछ तो तुम्हारी लगती हूँ

इसे न भूल जाना

 मेरी जगह किसी को न देना |

यही है मन में मुझे न भुलाना 

नहीं चाहती अपने

अधिकार को किसी से बांटना

 तुम मुझे न भूल जाना

वजूद है मेरा यही

 इस को किसी की नजर न लग जाए

मुझे याद करना मेरे मन में बसे रहना |

 अपने एकाधिकार पर गर्व है मुझको

यह भ्रम न रह जाए

मेरा मनोबल न कभी डिगे 

मन की स्थिती में वही द्रढ़ता रहे |

मैंने कोई गलत निर्णय न लिया हो

यही चाहती हूँ यही आशा लिए हूँ मैं

 यही प्रभू से मांगती हूँ

 मुझे मेरा अधिकार मिले

 मैं किसी से बैर न मोल लूं  

 किसी से सांझा न करना नहीं चाहती

मन को दुःख न देना मेरे

झूटी आशा न दिलाना मन को न उलझाना

मन की मधुर कविता है 

यह  कोरा कागज नहीं है |

आशा सक्सेना 


सपने बीती रात के

जाने कितने सपने देखे सारी   रात में 

कुछ याद रहे कुछ भूल गई 

जो याद रहे उनका सम्बन्ध रहा अवश्य 

बीते जीवन की यादों से |

 |यही सपने देते कष्ट सोचने पर 

मन ने चाहा भुलाना उनको 

 क्या याद करना पुरानी बीती यादों को 

कोई खुशी नहीं मिलती उनको याद कर के 

 |यह भी तो  नहीं होता कि दुखों से दूर हों वे सपने 

कभी मीठी यादें तो रहती हैं याद 

 तब होता मन के पास  कुछ सोचने को |

मन उदासी के बारे में

 कुछ सोचना नहीं चाहता 

उसे भुला देना चाहता 

अपने आने वाले जीवन से 

कोई रूचि नहीं रही बीते कल की 

यादों में उलझे रहने में 

जीवन का सुकून घटता जाता 

यदि उसी से जुड़े रहते |

आशा सक्सेना